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प्रसाद व खिलौनों की दुकान में बिक रही सब्जी

नीरज पराशर चितपूर्णी जिन व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर कभी दिन-रात भीड़ लगी रहती थी और क

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 08:13 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 06:13 AM (IST)
प्रसाद व खिलौनों की दुकान में बिक रही सब्जी

नीरज पराशर, चितपूर्णी

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जिन व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर कभी दिन-रात भीड़ लगी रहती थी और कई नौकर काम करते थे, उन दुकानों के संचालक कोरोना के कारण अर्श से फर्श पर पहुंच गए हैं। चितपूर्णी के मुख्य बाजार में ऐसी कई दुकानों पर अब प्रसाद व खिलौने की जगह सब्जी बिक रही है और प्रतिदिन हजारों रुपये की कमाई करने वाले दुकानदार महज कुछ सौ रुपए की सब्जी बेचकर जैसे-तैसे गुजारा चला रहे हैं। धार्मिक स्थल चितपूर्णी का व्यवसाय सिर्फ धार्मिक पर्यटन पर ही आधारित है और सिर्फ श्रद्धालुओं की उपस्थिति पर ही कारोबार चलता है। पिछले 17 मार्च से मंदिर के कपाट बंद हैं और कोरोना के चलते श्रद्धालुओं की आवाजाही भी पूर्ण रूप से बंद है। ऐसे में लॉकडाउन में दुकानें खुलने की छूट मिलने के बावजूद कई दुकानदारों ने अपनी दुकानें नहीं खोली, लेकिन ज्यों-ज्यों कोरोनाकाल लंबा बढ़ने लगा, त्यों-त्यों कई दुकानदारों को अपनी आजीविका चलाने के लिए चिता सताने लगी। ऐसे में कई दुकानदारों ने दुकानों पर सब्जी बेचनी शुरू कर दी है। मुख्य बाजार में ही छह से ज्यादा सब्जी की दुकानें चल रही हैं तो अस्पताल रोड़, नए बस अड्डे के समीप और शंभू बायपास मार्ग पर भी कई दुकानों में सब्जी ही बिक रही है। हैरत की बात यह है कि कई दुकानों की सजावट पर ही बड़ी राशि खर्च की गई है, बावजूद इसकी परवाह किए बगैर दुकानदारों ने टोकिरयों में भरकर सब्जी रख ली है। दुकानदारों अतुल, राजेश और प्रवीण का कहना है कि पिछले साढ़े तीन महीने से उन्हें दुकानों से कोई कमाई नहीं हुई है। फिलहाल घर की रसोई का खर्च निकालने के लिए सब्जी भेजने को मजबूर होना पड़ रहा है, लेकिन यहां भी कम आबादी के कारण कमाई न के बराबर है। जब तक मंदिर नहीं खुलता है और श्रद्धालु नहीं आते हैं, तब तक दुर्भाग्य उनका पीछा नहीं छोड़ने वाला है।


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