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जानिये क्यों लौट रहा है मिटटी के बर्तनों का दौर, सिर्फ सौंधी महक ही नही और भी है कई कारण

अब फिर से लोग मिट्टी के बर्तनों को तवज्जो देने लगे हैं क्योंकि इन बर्तनों में पका खाना स्वादिष्ट तो होता ही है साथ ही कई खतरनाक बीमारियों का खतरा भी कम करता है।

By BabitaEdited By: Published: Tue, 05 Feb 2019 11:10 AM (IST)Updated: Tue, 05 Feb 2019 11:10 AM (IST)
जानिये क्यों लौट रहा है मिटटी के बर्तनों का दौर, सिर्फ सौंधी महक ही नही और भी है कई कारण
जानिये क्यों लौट रहा है मिटटी के बर्तनों का दौर, सिर्फ सौंधी महक ही नही और भी है कई कारण

ऊना, राजेश ढडवाल। मिट्टी के चूल्हे पर लकड़ी की धीमी आंच में मिट्टी के बर्तनों में पकती खेतों की उपज की यादें अब तक भी हमारे जहन से धूमिल नहीं हुई हैं। मिट्टी के बर्तन में बन रहे खाने की खुशबू घर के आंगन तक महकती थी। दौर बदला, वक्त बदला...। मिट्टी के बर्तनों की जगह स्टील के बर्तनों ने ली मगर अब फिर से मिट्टी के बर्तनों में पकने वाले खाने की खुशबू लौटने लगी है। अब फिर से लोग मिट्टी के बर्तनों को तवज्जो देने लगे हैं। हरियाणा से मिट्टी के बर्तन लेकर ऊना पहुंचे गौरव ने एक स्टॉल लगाया है, जिस पर दिन भर लोगों की भीड़ जुटी रहती है। गुजरात की मिट्टी से बने बर्तन यहां के लोगों को खूब लुभा रहे हैं। इनके प्रयोग से कैंसर, एसिडिटी, कब्ज, अस्थमा, टीवी, डायबिटीज सहित अन्य बीमारियों के चपेट में आने का खतरा कम रहता है।

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विक्रेता गौरव के अनुसार मिट्टी के बर्तन में कुकिंग करने के दौरान तेल मिट्टी के अंदर चला जाता है और खाने में पौष्टिकता बढ़ जाती है। इन्हें साफ करने के लिए साबुन की जरूरत नहीं होती। हाथ से साफ करने से इन बर्तनों में कोई स्क्रेच नहीं आता है और इनकी गुणवत्ता बनी रहती है। 

इसलिए है पसंद

शहर में मिट्टी के बर्तनों को पसंद करने का कारण खाने में खुशबू लाने के साथ पोषक तत्वों को सहेजना भी है। कुकिंग एक्सपर्ट ज्योति बताती हैं कि मिट्टी के बर्तनों में डाई या माइका या किसी तरह की प्लेट नहीं होती है। इसके कारण खाना भरपूर प्रोटीन के साथ पकता है।

ये बर्तन आकर्षण का केंद्र

रोटी तवा, कुशर हांडी कढ़ाई, हॉट पॉट, पतीला, मटका, काफी मग, गिलास, वाटर बॉटल आकर्षण का केंद्र बने हैं। इसमें तवा, मिट्टी के डिजाइनर घडे़ और कुकर की डिमांड ज्यादा है।

यह हैं लाभ

न्यूट्रीशियन एक्सपर्ट डॉक्टर नमिता के अनुसार इनमें खाना बनाने समय पूरा प्रोटीन सुरक्षित रहता है। जबकि अन्य बर्तनों में खाने का 80 फीसद प्रोटीन तक खत्म हो जाता है। ऐसे में हेल्दी काया के लिए मिट्टी के बर्तनों को यदि किचन में शामिल किया जाए तो फायदेमंद हो सकता है।

 स्वास्थ्य के लिए उत्तम

  • खाने का स्वाद बढ़ाते हैं
  • कर्इ बीमारियों से बचाते हैं
  • भोजन के पौष्टिïक तत्व खत्म नही होते
  • दुग्ध के उत्पादों के लिए अति उत्तम
  • देखने में भी आकर्षक
  • खाना अधिक समय तक गर्म रहता है

दाम भी हैं कम

मिट्टी के बर्तनों में दस रुपये से लेकर सौ रुपये तक की मिट्टी की कटोरी, बाउल सौ से लेकर डेढ़ सौ रुपए तक, इसी प्रकार बच्चों की पानी की बोतल 150, कुकर 950, कड़ाही 250 से 550, दही हांडी 200 से 1000 तक, फ्राइंगपैन 200 से 500 तक है। इसके अतिरिक्त रसोई का अन्य सामान उपलब्ध है।


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