ऊना का ध्वनि प्रदूषण खतरे के स्तर पर
सावधान, ऊना शहर के लोग सतर्क हो जाएं।
राजेश डढवाल, ऊना
सावधान, ऊना शहर के लोग सतर्क हो जाएं। ऊना में ध्वनि प्रदूषण का स्तर खतरे को छूने लगा है। बढ़ता यातायात और हर समय सड़कों पर दौड़ते वाहन अब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होने लगे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। ऊना का ध्वनि प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए खतरा बनने लगा है। सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण बस अड्डे के पास के इलाके में है। यहां पर 60 से 65 डेसिबल तक की मात्रा में प्रदूषण का स्तर जा चुका है। सिविल अस्पताल के पास भी स्थिति ठीक नहीं है। ध्वनि प्रदूषण की चपेट में आने से कई खतरनाक रोग हो सकते हैं।
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यह हैं नियम
ध्वनि प्रदूषण अधिनियम के अनुसार दिन में 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल से ज्यादा का शोर न हो। बिना अनुमति के लाउड स्पीकर या ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग नहीं होना चाहिए। रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक ध्वनि विस्तार यंत्र के उपयोग पर प्रतिबंध है। अस्पताल, स्कूल-कॉलेज, अन्य शैक्षणिक संस्थान, न्यायालय, छात्रावास, सरकारी कार्यालय और बैंकों के नजदीक तेज आवाज वाले यंत्र का उपयोग करने से पहले अनुमति अनिवार्य मानी गई है। हालांकि ध्वनि प्रदूषण पर नियम 14 फरवरी, 2000 से प्रभावशील है जिसका पालन करवाने के लिए कलेक्टर, एसपी, पुलिस कमिश्नर, डीएसपी श्रेणी के अधिकारी की जिम्मेदारी तय की गई है। नियम के तहत एसडीएम या सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना कहीं पर भी लाउड स्पीकर नहीं बजा सकते। रात 10 बजे से सुबह दह बजे तक खुले में लाउड स्पीकर, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, ध्वनि पैदा करने वाले उपकरण की अनुमति नहीं है।
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ध्वनि प्रदूषण के कारण
मोटर गाड़ियों, स्वचालित वाहनों, लाउडस्पीकरों, कल-कारखानों एवं मशीनों का उपयोग काफी अधिक होने लगा है जिनसे निकलने वाली आवाज हमें परेशान करने के साथ-साथ हमारे स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालती है ।
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डॉ. राजेश का कहते हैं ध्वनि प्रदूषण हमें कई प्रकार से प्रभावित करता है। अधिक शोर के कारण सिरदर्द, थकान, अनिद्रा, सुनने की क्षमता में कमजोरी, चिड़चिड़ापन, उत्तेजना, आक्रोश आदि बीमारियां हो सकती हैं। अत्यधिक तेज ध्वनि से मकानों की दीवारों में दरार आने की संभावना भी बढ़ जाती है।
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ऊना में तीन स्थानों पर ध्वनि मापक यंत्र लगाए गए हैं। जिसमें से बस स्टैंड के पास लगे यंत्र में ध्वनि प्रदूषण की मात्रा चिंता पैदा करती है। इसके इलावा एक अन्य ध्वनि मापक यंत्र को सिविल अस्पताल के नजदीक लगाया गया है जिस पर निश्चित समय अंतराल के दौरान री¨डग तय मानकों से ऊपर आ पहुंचती है। कुछ समय से ध्वनि प्रदूषण का स्तर शहर में बढ़ा है।
-राहुल शर्मा, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इंजीनियर