72,000 मीट्रिक टन मक्की के उत्पादन का लक्ष्य
मानसून आने से पहले जिला ऊना के 70 फीसद से ज्यादा खेतों की जुताई के साथ बीजाई भी हो चुकी है।
नीरज पराशर, चिंतपूर्णी
मानसून आने से पहले जिला ऊना के 70 फीसद से ज्यादा खेतों की जुताई के साथ बीजाई भी हो चुकी है। जुलाई के पहले सप्ताह तक 27,450 हेक्टेयर में मक्की की फसल किसानों द्वारा बीज दी जाएगी। वहीं जिला के बंगाणा बेल्ट सहित अन्य क्षेत्रों में करीब 2400 हेक्टेयर में धान बीजने की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। दालों का उत्पादन के लिए किसानों ने 700 हेक्टेयर जमीन तैयार कर ली है। पिछले वर्ष अकेले मक्की का उत्पादन जिला में 71,100 मीट्रिक टन रहा था, जबकि इस बार लक्ष्य 72,120 रखा गया है।
बुधवार या वीरवार तक मानसून पहुंचने की संभावना है। कोरोना के कारण इस बार उन क्षेत्रों में भी खेतों में बीज डाला है, जहां किसानों का मोह जंगली व बेसहारा पशुओं के आंतक के कारण भंग हो चुका था। चितपूर्णी और कुटलैहड़ बेल्ट के पहाड़ी क्षेत्रों में मक्की की बीजाई पहले से अधिक हुई है। किसानों ने 1300 हेक्टेयर में सब्जियों की पैदावार भी शुरू कर दी है तो 50 हेक्टेयर में सिर्फ अदरक का बीज डाला गया है। 600 हेक्टेयर में आलू की फसल लेने की तैयारी में भी किसानों ने खेतों में मेहनत की है। कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. अतुल डोगरा ने कहा इस बार मक्की की बंपर फसल होने की उम्मीद है।
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इस बार जून के पहले ही सप्ताह से बारिश का सिलसिला शुरू हो गया था, जिस कारण खेतों में नमी होने के चलते किसानों ने मक्की की फसल की बीजाई कर दी। कई जगहों पर नमी के कारण मक्की की पौध निकल आई है और मानसून ठीक रहता है तो इस बार पहले से अधिक मक्की की पैदावार होगी।
-जोगेन्द्र सिंह, किसान।
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पहाड़ी क्षेत्रों में वन्य जीवों के अलावा बेसहारा पशुओं की समस्या के कारण किसानों ने खेती करना छोड़ दिया था। इस बार कोरोना काल में किसानों ने खेतों में खूब पसीना बहाया है। जो खेत दशक पहले से बंजर हो चुके थे, उनमें फिर से बीज डाला गया है। अदरक की खेती की तरफ भी रुझान पहले से बढ़ा है।
-संजीव कुमार, किसान
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इस बार खरीफ की फसल अच्छी रहने की उम्मीद है। मौसम खेतीबाड़ी के लिए अनुकूल रहा है और अगर मानसून भी समय पर पहुंच जाता है तो मक्की के साथ धान व दालों के भी रिकार्ड उत्पादन की संभावना है।
-यशपाल सिंह किसान।