चिंतपूर्णी में फूलों की खेती लाभ का सौदा
धार क्षेत्र की जलवायु फूलों की खेती के लिए अनुकूल है।
¨चतपूर्णी : धार क्षेत्र की जलवायु फूलों की खेती के लिए अनुकूल है। फूलों की बिक्री के लिए ¨चतपूर्णी जैसा बड़ा बाजार उपलब्ध है और सरकार भी प्रोत्साहन स्वरूप बागवानों को अनुदान दे रही है। ऐसे में विभिन्न कारणों से परंपरागत खेती से मुंह मोड़ चुके किसानों व बागवानों के लिए पुष्प कृषि एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। क्षेत्र के कई किसान इस खेती में हाथ आजमा रहे हैं और उन्हें इस क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता भी हासिल हुई है।
क्षेत्र के डूहल भटवालां, जवाल और डूहल बगवालां में अब किसानों ने गुलाब व गेंदा की खेती शुरू कर दी है। हालांकि कुछ हद तक इस खेती के लिए पानी की जरूरत होती है, लेकिन कुछ किसानों ने अपने वाटर टैंक बना लिए हैं तो कुछ के लिए वाटर शेड व मनरेगा के तहत बने वर्षा जल संग्रहण टैंक वरदान बने हैं।
किसान जगदीश राम, कृष्ण पाल शर्मा, विकास और बबली ने बताया कि उन्होंने गेंदा व गुलाब की खेती शुरू की है और इसका आर्थिक रूप से भी उन्हें फायदा भी मिल रहा है। ¨चतपूर्णी में फूलों की भारी मांग है। आम दिनों में गेंदा के प्रति किलोग्राम भाव साठ से अस्सी रुपये के बीच रहते हैं तो गुलाब डेढ़ सौ और दो सौ रुपये के बीच में बिकता है।
पीक सीजन में गुलाब की कीमत अढ़ाई सौ से तीन सौ रुपये तक भी पहुंच जाती है। इन किसानों ने बताया कि सरकार की तरफ से भी प्रति हेक्टेयर उन्हें अनुदान दिया गया है। वहीं, किसानों का कहना था कि गुलाब व गेंदा के फूलों का उजाड़ बंदरों व अन्य जंगली पशुओं द्वारा न के बराबर है जिससे उन्हें फसल की रखवाली करने के लिए अतिरिक्त परिश्रम नहीं करना पड़ता है। उनकी यही मांग थी कि सरकार को बीज व कीटनाशक भी सब्सिडी पर उपलब्ध करवाना चाहिए। वहीं, बागवानी विभाग के उपनिदेशक सुधीर शर्मा का कहना था कि विभाग द्वारा बागवानों को गेंदा व गुलाब की खेती करने पर बीस हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाता है। इसके अलावा फूलों की अन्य प्रजातियों व फलदार पौधों के लिए भी विभाग द्वारा सब्सिडी देने का प्रावधान है।
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गुलाब का पौधा देता है वर्ष भर फूल
गुलाब के पौधे की औसतन उम्र दस से बारह वर्ष के बीच होती है। एक बार गुलाब के पौधे फूल लगने के बाद वर्ष भर यह पौधा फसल देता रहता है। हालांकि दिसम्बर की कड़ाके की ठंड और मई महीने की गर्मी में पौधे पर फूल कम आते हैं, लेकिन बाकी के दस महीने में यह पौधा भरपूर फसल देता है। वहीं, गेंदा फूल की उपज भूमि की उर्वरा शक्ति व किसान द्वारा की गई देखभाल पर निर्भर करती है, पर इस फूल की फसल भी तीन महीने में तैयार हो जाती है।
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फूलों की खेती ने बदल दी जिदंगी
डूहल भटवालां के उन्नतशील किसान जगदीश राम पहले अपनी जमीन पर गेंहू और मक्की की फसल की बीजाई करते थे, लेकिन बंदरों व जंगली सूअरों द्वारा फसल उजाड़ने के बाद वह हताश व निराश हो गए। बाद में किसी की सलाह के बाद उन्होंने गुलाब के फूलों की खेती पर ध्यान दिया। बताया कि पहले अनुभव की कमी से वह बेहतर परिणाम हासिल नहीं कर पाए, लेकिन कुछ वर्षो की मेहनत व लग्न के बाद अब दिन में वह छह से सात किलोग्राम फूल भी गुलाब के पौधों से उतार लेते हैं। कहा कि अगर सरकार ¨सचाई सुविधा का बेहतर प्रबंध कर दे तो इस क्षेत्र में गुलाब व गेंदा सहित अन्य फूलों की प्रजातियों की बंपर फसल हो सकती है।