प्रवीनलता ने कड़ी मेहनत से हासिल किया मुकाम, जज बनकर पिता का बढ़ाया मान
हरोली की प्रवीनलता ने जिंदगी में असफलताओं से कभी हार नहीं मानी और अपनी कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल कर अपने ट्रक चालक पिता का नाम रोशन किया।
ऊना, जेएनएन।ऊना के हरोली उपमंडल के नगड़ोली गांव में अपनी कड़ी मेहनत के बल में एक ट्रक ड्राइवर की बेटी ने जज बनकर एक खास मुकाम हासिल किया। प्रवीनलता के पिता जगदीश पाल एक ट्रक चालक हैं और मां एक गृहिणी हैं। ट्रक ड्राइवर की बेटी प्रवीनलता जज की परीक्षा में चौथे प्रयास में सफल हुई। प्रवीनलता ने हिमकैप्स कॉलेज ऑफ लॉ बढेड़ा से वर्ष 2008 से 2013 बैच अंतराल की लॉ की पढ़ाई की। उसके बाद चार साल तक वकालत की।
प्रवीनलता अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को देती है और कहती है कि जिंदगी में असफलताओं से कभी भी हार नहीं माननी चाहिये। प्रवीनलता विवाहित हैं उनका विवाह 2015 में हुआ था, उनके पति भी पेशे से वकील हैं। उनके पति ने भी उनकी सफलता में अहम रोल अदा किया। प्रवीनलता को हिमकैप्स कॉलेज ऑफ लॉ बढेड़ा में उनकी सफलता के लिए सम्मानित भी किया गया।
शीतल ने राजस्थान और दिल्ली में भी पास की परीक्षा
न्यायिक सेवा परीक्षा पास कर शीतल गुप्ता ने सिविल जज बनी हैं उन्होंने इसी साल चार राज्यों की सिविल जज की प्रारंभिक परीक्षा भी पास की थी। राजस्थान और दिल्ली में प्री परीक्षा पास करने के बाद मुख्य परीक्षा हिमाचल की मुख्य परीक्षा के साथ एक ही तिथि को रखी, इसलिए मुख्य परीक्षा हिमाचल की दी।
वर्ष 2015 में पंजाब विश्वविद्यालय से पांच साल की लॉ की डिग्री करने वाली शीतल ने चार साल तक कड़ी मेहनत के बाद यह मुकाम हासिल किया है। माता-पिता की इकलौती बेटी के सपने को पूरा करने के लिए परिवार ने भी भरपूर साथ दिया। पिता देवेंद्र गुप्ता व माता शिवानी गुप्ता सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। ये सोलन के शामती में रहते हैं। उन्होंने बताया कि शीतल की प्रारंभिक पढ़ाई सेंट ल्यूक्स स्कूल सोलन से हुई। इसके बाद पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की।
देवेंद्र गुप्ता ने बताया कि शीतल को बचपन से ही पढ़ाई के साथ संगीत में रुचि रही। वहीं, शीतल ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता व गुरुजनों को दिया।
रामपुर की श्रुति बंसल बोलीं, परिवार के सहयोग और मेहनत से पाया मुकाम
शिमला जिले के रामपुर के वार्ड तीन की बहू श्रुति बंसल ने न्यायिक सेवा परीक्षा पास कर सिविल जज बन क्षेत्र का नाम रोशन किया है। उनकी इस उपलब्धि के बाद रामपुर सहित निरमंड विकास खंड के अरसू में खुशी है। वर्ष 2015 में श्रुति बंसल का विवाह रामपुर के वार्ड तीन निवासी जिला सहायक न्यायवादी प्रशांत सिंह हुआ था, जबकि उनका जन्म वर्ष 1989 को निरमंड विकास खंड के अरसू गांव में सोहन लाल बंसल के घर हुआ था।
श्रुति शुरू से ही पढ़ाई में अच्छी थीं। पहले माता-पिता का सहयोग मिला और शादी के बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से एलएलएम करने में पति और सास-ससुर ने भी भरपूर सहयोग दिया। श्रुति का कहना है कि परिवार ने हर कदम पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने प्रारंभिक पढ़ाई अरसू से पूरी करने के बाद रामपुर महाविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की और अंत में विश्वविद्यालय से एलएलबी और एलएलएम की शिक्षा पूरी की। इस बीच रामपुर न्यायालय परिसर में बतौर अधिवक्ता अपनी सेवाएं दी, लेकिन कुछ करने का जुनून और परिवार के सहयोग ने उन्हे लगातार आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और वर्ष 2016 में जिला न्यायवादी की परीक्षा भी उत्तीर्ण की थी, जबकि उन्होंने लॉ में यूजीसी नेट भी क्वालिफाई किया है। इसके बाद भी न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी करती रहीं।
लक्ष्य पाने के लिए दिन-रात एक करें युवा : शाविक घई
बिलासपुर में बतौर सहायक लोक अभियोजक सेवाएं दे रहे शाविक घई परीक्षा उत्तीर्ण कर न्यायाधीश बने हैं। उन्होंने बताया लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए साढ़े चार साल लगे। इस दौरान कई परेशानियों से जूझना भी पड़ा लेकिन दोस्तों का काफी सहयोग रहा।
नालागढ़ (सोलन) के रहने वाले शाविक के पिता एनसी घई ने बिलासपुर में एक दशक से अधिक समय तक बतौर जिला न्यायवादी सेवाएं दी हैं। उनकी माता संगीता घई राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बाहा की प्रधानाचार्य हैं। बड़ा भाई मानिक घई गुरूग्राम में निजी कंपनी में सेवारत है।
शाविक ने डीएवी स्कूल बिलासपुर में जमा दो तक पढ़ाई करने के बाद पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में कानून की पढ़ाई की। हाल ही में उनकी नियुक्ति बिलासपुर न्यायालय में सहायक लोक अभियोजक के पद पर हुई है। शाविक का मानना है कि कोई भी पीड़ित न्याय से वंचित नहीं रहना चाहिए।
युवा वर्ग सबसे ज्यादा सोशल मीडिया से प्रभावित है। उन्होंने कहा सोशल मीडिया का प्रयोग में कोई बुराई नहीं लेकिन जरूरत से ज्यादा इसका इस्तेमाल नुकसानदायक है। उन्होंने युवा पीढ़ी को संदेश दिया कि सोशल मीडिया को जरूरत के अनुसार प्रयोग करें और नैतिक मूल्यों का अनुसरण करें। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दिन-रात एक करें।