अचानक कम हो गए छात्रवृत्ति के पात्र
छात्रवृत्ति घोटाला सामने आने के बाद निजी शिक्षण संस्थानों में अचानक आवेदन कम हो गए हैं।
जागरण विशेष
राजेश शर्मा, ऊना
छात्रवृत्ति घोटाला सामने आने के बाद निजी शिक्षण संस्थानों में अचानक आवेदन कम हो गए हैं। ऐसे संस्थान जांच एजेंसी की नजर में हैं। इनमें कुछ वे संस्थान हैं जिनमें अचानक छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का आंकड़ा कम हो गया है। पिछले सालों की तुलना में राज्य में इस बार छात्रवृत्ति के औसतन नौ हजार आवेदन शिक्षा विभाग के पास कम पहुंचे हैं। सीबीआइ की छानबीन शुरू होने के बाद यह आंकड़ा और भी कम होने की संभावना है। जिन संस्थानों की जांच चल रही है वहां भी छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का आंकड़ा इस बार कम रहा है।
छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर कई इंजीनियरिग व सीबीआइ के रडार पर आए संस्थानों में हड़कंप है। कुछ संस्थान तो अपने रिकॉर्ड को सुधारने तक में व्यस्त हो गए हैं। जांच एजेंसी को मिले आंकड़ों में चौंकाने वाली जानकारी मिल रही है। बताया जा रहा है कि पिछले वर्षो में छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 40 हजार के आसपास रहती थी, अब 30 हजार के लगभग रह गई है। अकेले हिमाचल में ही करीब नौ हजार कम छात्रों का पंजीकरण इस छात्रवृत्ति के लिए हुआ है। इससे सालाना नब्बे करोड़ राशि की बचत हुई है। जांच शुरू होने के बाद छात्रों की ओर से छात्रवृत्ति के आवेदनों को रद करने की अपील संबंधित विभाग को भेजे जाने की सूचनाएं मिल रही हैं।
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दो दर्जन इंजीनियरिग एवं अन्य शिक्षण संस्थान रडार पर
प्रदेश में करीब दो दर्जन इंजीनियरिग एवं अन्य शिक्षण संस्थान सीबीआइ के रडार पर हैं। इनमें सीबीआइ फिलहाल उन संस्थानों के रिकॉर्ड को खंगालने में जुटी है जहां बड़े स्तर पर गोलमाल का अंदेशा है। जांच में कई छोटे संस्थान भी जद में आ सकते हैं। कांगड़ा के भी कुछ ऐसे शिक्षण संस्थानों तक जांच पहुंच सकती है। इनमें ऐसे भी संस्थान हैं जहां छात्रों को किसी न किसी योजना को लेकर सरकार की ओर से छात्रवृत्ति हासिल हो रही है। इन संस्थानों में भी प्रबंधक अपने रिकॉर्ड को ठीक करने में जुटे हुए हैं।
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जांच तेज कर सकती है सीबीआइ
प्रदेश में अचानक छात्रवृत्ति पाने वाले छात्रों की संख्या में आई भारी कमी को भी सीबीआइ टीम जांच के साथ जोड़कर देख सकती है। इस आंकड़े के सहारे भी एजेंसी उन संस्थानों तक पहुंचने का प्रयास करेगी जहां अचानक छात्रवृत्ति के लिए कम आवेदन किए हैं। ऐसे संस्थान भी हैं जो साल में करीब एक करोड़ की छात्रवृत्ति हासिल करते रहे हैं। ऐसे संस्थानों में अचानक पचास फीसद कम आवेदन पहुंचे हैं। इन तथ्यों के आधार पर एजेंसी प्रदेश के चिह्नित संस्थानों पर भी दबिश दे सकती है।