योग ही बन गया आजीविका का साधन
योग शारीरिक मानसिक व आध्यात्मिक प्रथाओं व विषयों का समूह है जिसकी उत्पति प्रचीन भारत में हुई थी।
मनमोहन वशिष्ठ, सोलन
योग शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक प्रक्रिया का वह समूह है, जिसकी उत्पति प्रचीन भारत में हुई थी। भारत से निकला योग आज विश्व के अधिकांश देशों के लोगों को बेहतर एवं निरोग जीवन दे रहा है। योग के माध्यम से लोगों की अनेक लाइलाज बीमारियां ठीक हो रही हैं। योग पद्धति की अलख देश के कई लोग विदेश में भी जगा रहे है। ऐसा ही एक नाम है सोलन जिले के नालागढ़ के खेड़ा गांव के कुलजीत सिंह का। कुलजीत आज योग के लिए क्षेत्र में जाना माना नाम है। पहले योग प्रतियोगिताओं में भाग लेकर देश का प्रतिनिधित्व किया और फिर उसी में अपना भविष्य बना लिया। उनकी योग में कामयाबी को देख अन्य युवा भी इस ओर आकर्षित हो रहे हैं।
वार्षिक ले रहे लाखों का पैकेज
खेड़ा गांव के 24 वर्षीय कुलजीत सिंह ने योग की ऐसी साधना की कि आज उसको अपनी आजीविका के रूप में ही अपना लिया। वह तीन माह से वियतनाम की नामी फिटनेस कंपनी राजा योगा कंपनी में बतौर योग गुरु व कोच सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनका वार्षिक पैकेज लाखों में है और खुशी होती है कि जिस योग को बतौर खिलाड़ी अपनाया, आज वह बेहतर आजीविका का साधन बन गया है। उनके पिता राजेंद्र सिंह किसान हैं, जबकि माता नीलम देवी गृहणी हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बीएम जैन पब्लिक स्कूल नालागढ़ व शिवालिक स्कूल खरूणी से हुई। चितकारा विश्वविद्यालय से उन्होंने बीएससी फार्मास्युटिकल किया है। विवि में उनकी पढ़ाई का खर्चा बद्दी की डॉ. रेड्डी इंडिया फार्मा कंपनी ने वहन किया। कई पदक किए अपने नाम
कुलजीत ने बताया वह हिमाचल प्रदेश योग एसोसिएशन के विद्यार्थी रहे हैं। उन्होंने भारत का अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में चार बार प्रतिनिधित्व किया। वह योग फेडरेशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारी हैं। उन्होंने 2015 में थाईलैंड में हुई एशियन चैंपियनशिप में दो रजत पदक जीते। 2016 में वियतनाम में हुई एशियन चैंपियनशिप में एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक मेडल जीता। 2017 में सिंगापुर में स्वर्ण पदक जीता। भारत में आयोजित चैंपियनशिप में भी स्वर्ण और कांस्य पदक अपने नाम किया। एशियन चैंपियनशिप व राष्ट्रीय स्तर पर वह 10 स्वर्ण, चार रजत और दो कांस्य पदक जीत चुके हैं।