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world urdu day: मैं उर्दू हूं...मेरी अच्छाई ही अब मुझे दर्द देने लगी

world urdu day हिमाचल में हर व्‍यक्ति अपनी भाषा में उर्दू का प्रयोग करता है इसके साथ ही यहां कई स्‍कूलाें में उर्दू उर्दू भाषा को पढ़ाया भी जा रहा है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 08:56 AM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 11:47 AM (IST)
world urdu day:  मैं उर्दू हूं...मेरी अच्छाई ही अब मुझे दर्द देने लगी
world urdu day: मैं उर्दू हूं...मेरी अच्छाई ही अब मुझे दर्द देने लगी

सोलन, सुनील शर्मा। मैं उर्दू हूं...मेरी अच्छाई ही अब मुझे दर्द देने लगी है। मैं सभी भाषाओं में घुल मिल गई, लेकिन अब गुम होने लगी हूं। यह उस भाषा की पीड़ा है जो आजादी के बाद 1966 तक सबसे साथ चलती गई, लेकिन इसके बाद पिछड़ने लग गई। आज हिमाचल प्रदेश में उर्दू का इस्तेमाल हर व्यक्ति करता है। उर्दू की शब्दावली सभी भाषाओं में घुल मिल है, लेकिन इसको सरकार ने तवज्जो नहीं दी। हालांकि कुछ सरकारी विभागों में अब भी उर्दू का इस्तेमाल होता है, लेकिन कई बार इसे पढ़ने के लिए कोई व्यक्ति नहीं मिल पाता। इससे पता चलता है कि प्रदेश में अब इस भाषा की स्थिति क्या है। मुझे अब भी अंदाजा है कि जिला सोलन में 13, सिरमौर में 14, शिमला में पांच, बिलासपुर में तीन और मंडी के सात स्कूलों में ही उर्दू भाषा को पढ़ाया जाता है।

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सेवानिवृत्त होने से पहले मैंने 40 युवाओं को उर्दू का प्रशिक्षण दिया था। इनमें से कुछ ने अध्यापक पात्रता परीक्षा पास की थी। उनमें से करीब 22 युवा सरकारी शिक्षक हैं। अन्य को डेली वेज पर रखा गया है, जो स्कूलों में उर्दू का पाठ पढा रहे हैं।

-डॉ. जोगराज, के सेवानिवृत्‍त प्रिंसिपल, उर्दू सेंटर सोलन

 राजनीति भी खूब हुई विशेषज्ञों की मानें तो प्रदेश में उर्दू सभी स्कूलों में शुरू की गई थी। 1966 में संस्कृत और उर्दू को वैकल्पिक बना दिया गया। यहां से उर्दू को पढ़ने और लिखने वालों की कमी आना शुरू हो गया।  प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा की सरकारों ने इसे कभी छठी, सातवीं और आठवीं तक शुरू किया गया तो कभी नौवीं और दसवीं में शुरू किया गया। एक दौर ऐसा भी रहा जब इस भाषा को छठी से दसवीं तक की सभी कक्षाओं में पढ़ाया जाता रहा। इस भाषा को शांता सरकार ने तीसरे नंबर पर ला दिया। उस समय इस भाषा के साथ संस्कृत, ड्राइंग और उर्दू को जोड़ दिया गया। इसके बाद कन्नड भाषा सहित अन्य अंग्रेजी व कई भाषाओं को इसमें शामिल कर लिया गया।

प्रदेश में कब और कैसे गिरा स्तर

उर्दू भाषा के विशेषज्ञ डॉ. जोगराज ने बताया कि प्रदेश में 1947 से 1966 तक उर्दू भाषा का इस्तेमाल किया जाता था। अधिकतर विभागीय कार्यों से स्कूली शिक्षा तक काम काज उर्दू भाषा में ही किया जाता था।1966 के बाद इस भाषा को पढ़ाने वाले लोगों की संख्या कम होती गई। 2005 में उर्दू पढ़ाने वाले स्कूलों की संख्या करीब 100 रह गई थी। 2010 में इसे पढ़ाने वाले स्कूलों की संख्या 80 के करीब पहुंची और 2015 में यह 50 के करीब आ गई। इस समय करीब 60 स्कूलों में इस भाषा को पढ़ाया जाता है।  

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