माल रोड पर फाहे देख रोमांचित हुए लोग
प्रदेश के शिमला सहित अन्य कई जिलों में तेज बर्फबारी से जहां जीवन अस्त व्यस्त हो गया है।
जागरण संवाददाता, सोलन : जिला सोलन में बारिश-बर्फबारी से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। वहीं, शहर में बर्फ के फाहे गिरते देख लोग काफी खुश हुए। हालांकि शहर में बर्फ टिक नहीं पाया, लेकिन जिला के ऊंचे क्षेत्रों में बर्फबारी हुई है। शिमला की तरफ बर्फबारी की चाह में निकलने वाले लोगों ने भी वाहनों के पहिये सोलन की पहाड़ियों की तरफ घुमाए, जिससे होटल व्यवसायियों में खुशी का माहौल रहा।
सोलन के निकटवर्ती गलानग, बसाल, करोल, बड़ोग, कसौली, डमरोग सहित अन्य चोटियों पर एक से पांच फीट तक बर्फ गिरी। जिला सोलन के चायल, कसौली, डमरोग, गलानग और करोल की पहाडि़यों पर मंगलवार को जमकर हिमपात हुआ। जिला में करीब सात साल बाद भारी हिमपात हुआ है। सोलन के माल रोड पर भी करीब दो वर्ष बाद बर्फ के फाहे गिरे हैं। सोलन के प्रमुख पर्यटक स्थलों पर भारी हिमपात होने से चायल-कुफरी, गौड़ा मार्ग, बड़ोग सडक मार्ग आदि बंद हुए। हिमाचल पथ परिवहन निगम सोलन के करीब पांच रूट और कई संपर्क मार्ग भी प्रभावित हुए है, जबकि कुनिहार, सुबाथू, धर्मपुर, परवाणू, अर्की में बारिश से ठंड बढ़ गई है। मंगलवार को हुई बारिश और बर्फबारी से जहां पर्यटकों के चेहरे खिले हैं वहीं सूखे की मार झेल रहे किसानों के चेहरे पर भी रौनक लौट आई है।
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ये मार्ग और रूट हुए बंद
बर्फबारी के कारण हिमाचल पथ परिवहन निगम के तीन रूट प्रभावित हुए हैं। इनमें सोलन-विजमल, सुंदल-शिमला, शिमला-भूट्टी रूट प्रभावित हुआ। इसके अलावा चायल के सपंर्क मार्ग सहित चायल-कुफरी-गौड़ा मार्ग भी बर्फबारी के कारण बंद हो गया है। इसके तहत चायल से कुफरी जाने वाली निजी व सरकारी बसें चायल बस स्टैंड में फंसी हुई है
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किसानों को मिली राहत
किसानों की माने तो यह बारिश फसलों के लिए संजीवनी साबित होगी। वहीं अब बागवान भी पलम, खुमानी, सेब, आडू सहित अन्य पौधों को रोप सकेंगे, जोकि बारिश न होने के कारण नहीं हो पा रहा था। वर्तमान में मटर, गेहूं, गोभी, धनिया, मैथी, लहसुन के लिए बारिश जरूरी थी।
डॉ. यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विवि नौणी के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रभारी डॉ. एसके भारद्वाज ने कहा कि अब तक 51 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। किसानों और बागवानों के लिए यह बारिश सौगात है। सब्जियों, सेब और टमाटर की पैदावार में इस बारिश से गुणवत्ता आएगी। कोरे से फसलें व सब्जियां जलने की समस्या आ रही थी जो अब दूर हो गई है। शिमला में सेब के लिए जरूरी चिलिंग आवर्स पूरे हो जाएंगे।