सोलन में होंगे प्रभु श्रीकृष्ण के पांच अवतारों के दर्शन
शूलिनी माता के नाम पर पहचाने बनाने वाले सोलन शहर में अब श्रधालुओं को श्रीकृष्ण मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के आलौकिक दर्शन करने का मौका मिलेगा। सोलन के माल रोड के साथ ही बने श्रीकृष्ण मंदिर का बुधवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने लोकापर्ण किया। अयोध्या में राम मंदिर बनाने की जोरदार मांग उठाने वाले माहन भागवत के सोलन में श्रीकृष्ण मंदिर के लोकापर्ण करने के लिए पहुंचने पर लोग उत्साहित नजर आए। लोकापर्ण के बाद मंदिर आम श्रधालुओं के लिए खुल गया है। तीन मंजिला भवन के बडे हॉल में श्रीकृष्ण भगवान के विभिन्न रूपों के दर्शन होते है। मंदिर लोगों के लिए सुबह से शाम तक खुला रहा करेगा।
मनमोहन वशिष्ठ, सोलन
शूलिनी माता के नाम से जाने वाले सोलन शहर में अब भगवान श्रीकृष्ण के पांच अवतारों के दर्शन होंगे। सोलन के माल रोड बने श्रीकृष्ण मंदिर का बुधवार को आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने लोकार्पण किया।
तीन मंजिला भवन के बड़े हाल में श्रीकृष्ण भगवान के विभिन्न रूपों के दर्शन होंगे। मंदिर संचालक नरेंद्र मुनि ने बताया कि पांचों अवतार की मूर्तियां महाराष्ट्र से बनवाई गई हैं। भगवान श्रीकृष्ण की संगमरमर की विशाल मूर्ति है, जबकि अन्य अवतारों की छोटी मूर्तियां हैं। भगवान श्रीदत्तात्रेय महाराज प्रभु की मूर्ति महाराष्ट्र की तर्ज पर मुच्छों वाली बनाई गई है। महाराष्ट्र के महानुभाव पंथ को उत्तर भारत में जय श्रीकृष्ण पंथ से जाना जाता है। मंदिर में अनुयायी व शिष्य बनने वालों को गीताजी के शलोंकों की शिक्षाएं दी जाएगी। ये हैं श्रीकृष्ण के पांच अवतार
मंदिर संचालक नरेंद्र मुनि ने बताया कि त्रेता युग में उत्तराखंड की धरा पर पहला अवतार बद्रिकाश्रम में पिता अत्रिऋषि व माता अनसूया के घर में भगवान श्रीदत्तात्रेय महाराज का अवतार हुआ था। उसके बाद द्वापर युग में दूसरा अवतार उत्तर प्रदेश के मथुरा में वसुदेव व देवकी माता के घर में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। कलयुग में तीसरा अवतार महाराष्ट्र के पलटन में पिता जनकदेव व माता जनकाईसा के घर में भगवान श्रीचक्रपाणि महाराज का अवतार हुआ। भगवान का चौथा अवतार कलयुग में महाराष्ट्र के मातुलग्राम में पिता अनंतनायक व माता नेमाइसा के घर में भगवान गोविद प्रभु महाराज का हुआ। पांचवां व अंतिम अवतार कलयुग में गुजरात के भरवस में पिता विशाल देव व माता मालन के घर में भगवान सर्वज्ञ श्रीचक्रधर स्वामी का अवतार हुआ था। नरेंद्र मुनि ने बताया कि पांचवें अवतार भगवान सर्वज्ञ श्रीचक्रधर स्वामी ने ही इस पंथ को शुरू किया था।