बद्दी में बन रही पीपीई किट को फिलहाल मंजूरी नहीं
प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट यानी पीपीई बनाने तो शुरू हुए हैं लेकिन इसके मानकों और अप्रुवल ने इसमें रोड़ा डाल दिया है।
जागरण संवाददाता, सोलन : प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई) किट बनानी शुरू तो हुई हैं, लेकिन इसके मानकों और मंजूरी ने इसमें रोड़ा डाल दिया है। शुरुआत के दिनों में टैक्सटाइल का काम करने वाले कुछ उद्योगों ने इसका निर्माण शुरू कर दिया और काफी संख्या में पीपीई किट तैयार भी किए थे, लेकिन साउथ इंडिया टैक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन (सिटरा) और डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीई) से अनुमति न मिलने के कारण अब उद्योगों ने इनका उत्पादन बंद कर दिया है।
कुछ उद्योगों का कहना है कि जब वह उत्पाद किसी सरकारी एजेंसी के पास लेकर जाते हैं तो संबंधित अथॉरिटी की अनुमति मांगते हैं, जो अब तक उद्योगों को नहीं मिली है। ऐसे में उनका लाखों रुपये जो पीपीई किट में निवेश किया है, व्यर्थ हो रहा है।
अब तक नहीं मिली अनुमति : पायोनीर
बद्दी के साई मार्ग पर स्थित पायोनीर इंपेक्स उद्योग ने करीब एक हजार पीपीई किट तैयार किए थे। जब वह सरकारी अस्पतालों के पास सैंपल लेकर पहुंचे तो मंजूरी के बारे में अड़चन का सामना करना पड़ा। ऐसे में कंपनी ने अपने कुछ किट निजी अस्पतालों में बांटने के बाद इसका उत्पादन बंद कर दिया। स्टरलाइज करवा खरीदते हैं कपड़ा
पायोनीर कंपनी का कहना है कि वह किट के उत्पादन के लिए नासिक से कपड़ा मंगवाते हैं। यह एसएसएमएमएस नॉनवोवन फैब्रिक कपड़ा होता है जो 550 प्रति किलो के हिसाब से मिलता है। वह कपड़े को ही स्टरलाइज करवाकर खरीदते हैं, क्योंकि उद्योग में अब तक ईटीओ स्टरलाइजर फिट करने का काम बाकी है। उद्योगों में तैयार की जा रही पीपीई किट कितनी सुरक्षित हैं इसकी पहचान केवल स्टरलाइजेशन से हो सकती है। बीस किट की स्टरलाइजेशन के लिए 12 घंटे का वक्त लगता है। ईटीओ स्टरलाइजर ऑटोमेटिक मशीन में गैस के माध्यम से बैक्टिरिया समाप्त होता होती है। मशीन का गेट वापस 12 घंटे बाद खुलता है जब गैस का प्रभाव अंदर खत्म हो जाए और बैक्टिरिया पूरी तरह नष्ट हो जाए।
उत्तम गुणवत्ता की है किट : सौरभ गुप्ता
पायोनीर इंपेक्स कंपनी के मैनेजर व पार्टनर सौरभ गुप्ता ने बताया कि कंपनी में उत्तम गुणवत्ता की किट के साथ फेस मॉस्क व हैंड गलब्ज तैयार किए जा रहे हैं। वह 2017 से मास्क तैयार करते हैं और पीपीई किट के लिए उन्होंने दो सप्ताह से आवेदन किया है। अभी तक सिटरा व डीआरडीओ से मंजूरी नहीं आई है।