इंग्लैंड में कृष्ण दे रहे सद्भाव का संदेश
आचार्य कृष्ण कांत अत्री एम.बी.ई. जो अपनी मेहनत के बलबूते कसौली के साथ लगते छोटे से गढ़खल गांव से निकलकर ब्रिटेन जैसे बडे देश की आर्मड फोर्सेस (सेना) में बतौर ¨हदू चैपलिन (लेफ्टिनेंट कर्नल) याने ¨हदू धर्मगुरू सेवाएं दे रहे है। यह देश व प्रदेश के लिए गर्व का विषय है। पिछले कई दशकों से कृष्ण कांत अत्री इंगलैंड के न्यूकैसल ¨हदू मंदिर और यूके के सभी धर्मस्थलों से जुडे हुए है। आचार्य कृष्ण अत्री के कुशल नेतृत्व ने वहां ¨हदुओं एवं सभी धर्माें में में एकता की भावाना पैदा की है। अंतर-विश्वास संबंध के क्षेत्र में उनके योगदान को सभी लोगों ने बहुत सराहा गया है। उन्होने सभी धर्मेां के समुदायों के लोगों के बीच एकता की मजबूत रेखाओं को स्थापित करने के लिए राजनितिज्ञों व आम जननेताओं के साथ काम किया है।
मनमोहन वशिष्ठ, सोलन
आचार्य कृष्ण कांत अत्री इंग्लैंड में कई वर्ष से सद्भाव का संदेश दे रहे हैं। वह कसौली के साथ लगते छोटे से गांव गढ़खल से निकलकर इंग्लैंड की आर्म्ड फोर्सेस (सशस्त्र बल) में बतौर ¨हदू चैपलिन (लेफ्टिनेंट कर्नल) यानी ¨हदू धर्मगुरु सेवाएं दे रहे हैं। कई दशकों से वहां स्थित न्यूकैसल ¨हदू मंदिर सहित कई धर्मस्थलों से जुड़े हैं। उन्होंने सभी धर्म के बीच एकता और सद्भाव को स्थापित करने के लिए काम किया। इसी के चलते उन्हें इंग्लैंड के उत्तर पूर्व में अंतर विश्वास संबंधों को मजबूत करने के लिए जून 2013 में ब्रिटेन की महारानी के जन्मदिन पर ¨प्रस ने एमबीई (मेंबर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर) अवार्ड से सम्मानित किया था। एमबीई अवार्ड भारत के पदमश्री के बराबर माना जाता है।
लोगों व सशस्त्र बलों के बीच मजबूत किए संबंध
इंग्लैंड के रक्षा मंत्रालय ने 13 साल पहले ब्रिटिश सशस्त्र बल (सेना, नौसेना व वायु सेना) के लिए उन्हें पहला ¨हदू चैपलिन नियुक्त किया था। इस दौरान उन्होंने लोगों व सशस्त्र बलों के बीच एकता व अखंडता स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने इंग्लैंड के न्यूकैसल, लंदन, बर्मिंघम, वेस्ट ब्रोमविच, ब्रैडफोर्ड, मैनचेस्टर, मिडल्सब्रोट, बोल्टन व कार्डिफ, स्विडन व लिवरपूल जैसे प्रमुख शहरों में स्थानीय व राष्ट्रीयस्तर के नेतृत्व और सशस्त्र बलों के कमां¨डग अधिकारियों के साथ सम्मलेन आयोजित किए। कौन हैं कृष्णकांत
आचार्य कृष्ण कांत का जन्म 3 सितंबर, 1961 को हिमाचल प्रदेश में कसौली के पास गढ़खल गांव में हुआ। पंजाब विश्वविद्यालय के साधू आश्रम होशियारपुर में पढ़ने और फिर शास्त्री आचार्य के रूप में शिक्षा पूरी की। इसके बाद वह इंग्लैंड के न्यूकैसल गए। वहां उन्हें नॉर्थ ईस्ट के सबसे बड़े न्यूकैसल ¨हदू मंदिर में प्रधान पुजारी के पद पर आमंत्रित किया गया। उनके छह भाई व छह बहने हैं। माता-पिता का निधन हो चुका है। वह अब इंग्लैंड में ही रहते हैं, लेकिन समय मिलने पर हिमाचल आते रहते हैं।
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मैराथन को बनाया समाजसेवा का जरिया
उन्होंने इंग्लैंड सहित दुनियाभर में 69 से अधिक मैराथन में भाग लिया। इसमें लंदन, न्यूयॉर्क, बोस्टन बर्लिन व शिकागो शामिल हैं। उनका लक्ष्य अगले दो साल में 108 मैराथन पूरा करना है। इसके माध्यम से जुटाए हजारों पाउंड उन्होंने जरूरतमंद लोगों को दान किए हैं। वह रोटेरियन हैं और रोटरी क्लब की मदद से 2014 में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए भी धन जुटाया। उन्होंने नेपाल में भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए भी हजारों पाउंड जुटाकर भेजे थे।
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सभी को मेहनत के साथ अपना कर्म करना चाहिए। जिससे प्रदेश व नाम विदेश में भी ऊंचा हो सके। जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए सभी को आगे आना चाहिए।
-आचार्य कृष्ण कांत अत्री।