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साठ साल में दूसरा मिल्खा सिंह नहीं दे पाया भारत

मनमोहन वशिष्ठ, सोलन हाथ की लकीरों से जिंदगी नहीं बना करती, अजम कुछ हिस्सा हमारा भी है जिद

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 08:01 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 08:01 PM (IST)
साठ साल में दूसरा मिल्खा सिंह नहीं दे पाया भारत
साठ साल में दूसरा मिल्खा सिंह नहीं दे पाया भारत

मनमोहन वशिष्ठ, सोलन

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हाथ की लकीरों से जिंदगी नहीं बना करती, अजम कुछ हिस्सा हमारा भी है जिदंगी बनाने में। यह शब्द भारत के महान एथलीट व पद्मश्री फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह ने कहे। मिल्खा शूलिनी विश्वविद्यालय में बने मिल्खा सिंह इनडोर स्पो‌र्ट्स कांप्लेक्स का उद्घाटन करने के लिए सोलन पहुंचे थे। उन्होंने कहा, जितना ध्यान क्रिकेट पर दिया जाता है उतना ध्यान अन्य खेलों पर नहीं दिया जाता। दुख है कि मुझे दौड़े 60 साल हो गए हैं, देश में दूसरा मिल्खा सिंह पैदा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान से दुख मिले हैं तो फ्लाइंग सिख की उपाधि देकर विश्व में पहचान भी दिलाई है। मिल्खा सिंह ने विवि में विद्यार्थियों से संवाद भी किया। उन पर बनी फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' के कुछ अंश भी दिखाए गए, जिसे देखकर मिल्खा भावुक हो गए।

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50 हजार कोच, लेकिन रिजल्ट जीरो

मिल्खा सिंह ने कहा कि भारत में 50 हजार कोच हैं, लेकिन रिजल्ट जीरो। यदि सरकार चाहती है कि भारत के खिलाड़ी ज्यादा मेडल लाएं तो कोच अनुबंध पर रखने चाहिए। हर खेल के कोच को खिलाड़ियों के साथ दिन-रात मेहनत करनी पडे़गी तब जाकर मेडल आएंगे। पहले हर किसी को खेल मंत्री बना दिया जाता था, लेकिन अब खेल से ही जुडे़ राज्यवर्धन राठौड़ मंत्री हैं और अच्छे नतीजे भी आ रहे हैं। उस समय सुविधाओं की कमी थी, लेकिन रिजल्ट बेहतर होते थे और आज तमाम सुविधाओं के बावजूद हार्ड वर्क की कमी है।

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अंतिम इच्छा- कोई खिलाड़ी लाए मेडल

आजादी के बाद ओलंपिक में मात्र पांच खिलाड़ी एथलेटिक्स के फाइनल में पहुंचे हैं, लेकिन मेडल नहीं ला पाए। मिल्खा सिंह ने कहा कि अब वह 91वें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं, उनकी अंतिम इच्छा है कि रोम ओलंपिक में एथलेटिक्स में उनसे छूटा मेडल भारत का कोई एथलीट लाए। यह मुश्किल नहीं है, यदि बच्चे हर गेम्स के रिकॉर्ड को अपने सामने रखकर मेहनत करें।

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2020 की ओलंपिक से उम्मीदें

मिल्खा सिंह ने एशियन गेम्स में बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को बधाई दी। कहा कि 2020 में होने वाले ओलंपिक से उन्हें बहुत उम्मीदें हैं और और आशा है कि जो भी खिलाड़ी ओलंपिक में खेलने जाएंगे वे देश का नाम ऊंचा करेंगे। सरकार को खेलों की ओर स्कूल से ही विशेष ध्यान देने की जरूरत है तभी भविष्य में हर गेम्स में मेडल आएंगे।


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