इस क्लब की सदस्यता के लिए 30 साल से इंतजार में कई हस्तियां, जानिए खासियत Solan News
सैकड़ों ने ही इसकी सदस्यता लेने के लिए आवेदन कर रखा है लेकिन इसकी वेटिंग भी 20 से 30 साल की है।
सोलन, मनमोहन वशिष्ठ। देश में कई जगह क्लब मौजूद हैं, लेकिन सोलन जिले की पर्यटन नगरी कसौली के अपर माल रोड स्थित 139 साल पुराने कसौली क्लब की पहचान कुछ अलग है। सुविधाएं तो हर क्लब में अपनी ओर से बेहतर देने का प्रयास किया जाता है, लेकिन नियम व आबोहवा ही इसे औरों से अलग बनाती है। यही कारण है कि इसके सैकड़ों स्थायी व अस्थायी सदस्य हैं। सैकड़ों ने ही इसकी सदस्यता लेने के लिए आवेदन कर रखा है लेकिन इसकी वेटिंग भी 20 से 30 साल की है। वर्तमान में सेना, बॉलीवुड, राजनीति, प्रशासनिक अधिकारी व देश के नामी खिलाडी कसौली क्लब के सदस्य हैं। क्लब में स्थायी सदस्य, टेन्योर सदस्य, अस्थायी सदस्य, ऑनरेरी सदस्य, ऑनरेरी सदस्य (सीनियर सिटीजन), आजीवन सदस्य, कॉर्पोरेट सदस्य, एनआरआइ सदस्य, ग्रीन कार्ड के सदस्य व एआरएम कैटेगरी में इसकी सदस्यता मिलती है।
1880 में हुई थी कसौली क्लब की स्थापना
कसौली क्लब को अंग्रेजों ने 1880 में द कसौली रीडिंग व असेंबली रूम के रूप में स्थापित किया था। एक जनवरी 1898 को एक प्रस्ताव पास करके इसे कसौली क्लब के तौर पर जाना जाने लगा। उसमें कहा गया कि द कसौली रीडिंग एंड असेंबली रूम का प्रबंधन असंतोषजनक है और इसका प्रबंधन कसौली छावनी में रहने वाले सैन्य अधिकारियों व सिविल सर्वेंट के हाथों में होना चाहिए। इस प्रस्ताव के बाद कसौली रीडिंग एंड असेंबली रूम को रजिस्ट्रार कार्यालय लाहौर में 21 सितंबर 1898 को कसौली क्लब के रूप में पंजीकृत किया गया था। क्लब को बाद में 'द कसौली क्लब लिमिटेड' के रूप में नाम दिया गया था और अब कंपनी अधिनियम 1956 द्वारा शासित है। स्टेशन कमांडर कसौली इसका चेयरमैन होता है।
मोहिंद्र चोपड़ा बने पहले भारतीय सदस्य
कर्नल एमएल आहुजा स्वतंत्र भारत के क्लब प्रबंधन समिति के पहले भारतीय अध्यक्ष थे और उन्होंने 1947 में क्लब को बेचने से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मेजर (बाद में मेजर जनरल) मोहिंदर सिंह चोपड़ा क्लब के पहले भारतीय सदस्य बने थे।
2002 में आग की घटना से हो गया था राख
जनवरी 2002 में कसौली क्लब आग की घटना से राख हो गया था, लेकिन सभी सदस्यों द्वारा सक्रिय भागीदारी व योगदान के साथ पुनर्निर्माण किया गया था और 27 मार्च 2005 को थोड़े समय के भीतर इसे फिर से उसी स्वरूप में तैयार कर शुरू किया गया था। आज कसौली क्लब उत्तरी भारत में क्लबों में सबसे सुंदर, प्रसिद्ध व मांग वाला संस्थान बन गया है। क्लब न केवल अपनी शानो शौकत के लिए ही नहीं बल्कि दर्जनों स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए भी जाना जाता है।
ये हैं सुविधाएं
कसौली क्लब में आरामदायक कक्ष, पुस्तकालय, बिलियर्ड्स, बॉलरूम और एक विशाल डाइनिंग हॉल हैं। क्लब में छह टेनिस कोर्ट, स्कवॉश कोर्ट भी है। क्लब में बेहतर खानपान के लिए रेस्टोरेंट, डाइनिंग हॉल, लाइब्रेरी, स्कवॉश कोर्ट, टेबल टेनिस कोर्ट, बैंडमिंटन, लॉन टेनिस कोर्ट, जिम, बार, रेस्ट हाउस समेत अनेकों सुविधाएं मौजूद हैं। क्लब में ड्रेस कोड का नियम है, जिसके बिना गेट के अंदर एंट्री नहीं हो सकती है। खास बात यह है कि इसे सिर्फ क्लब के सदस्य ही बुक करवा सकते हैं।
मिल्खा सिंह, अजीतपाल सिंह जैसी हस्तियां हैं सदस्य
कसौली क्लब के मौजूदा समय में सैन्य, बॉलीवुड, खेल, प्रशासनिक व संगीत के क्षेत्र से जुडे छह सौ स्थायी सदस्य हैं। अस्थायी सदस्यों की संख्या भी सैकडों में ही है। ऑनरेरी सदस्यता के भी कई सदस्य हैं जो खेल व सेना में कई सम्मान प्राप्त कर चुके हैं। कसौली क्लब के नामी सदस्यों में फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह, हॉकी इंडिया के पूर्व कैप्टन अजीतपाल सिंह, अभिनेता राहुल बोस, लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) कमल डावर सहित कई बड़ी हस्तियां कसौली क्लब लिमिटेड की सदस्य हैं। स्व. बीके नेहरू, स्व. खुशवंत सिंह, ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश सर मौरिस ग्वेयर, सर फ्रेडरिक गौंटलेट, कर्नल जेए सिंटन जैसे अनेकों इसके सदस्य रहे हैं।
कसौली वीक व खुशवंत सिंह लिटफेस्ट का आयोजन
यहां साल में दो बड़े आयोजन यहां होते हैं। एक क्लब का अपना वार्षिक कार्यक्रम जो कसौली वीक के नाम से जाना जाता है और दूसरा लेखक खुशवंत सिंह के नाम पर 2012 में शुरू हुआ खुशवंत सिंह लिटफेस्ट। जून माह में सात दिवसीय कसौली वीक कार्यक्रम होता है जिसमें खेल, गेम्स व अन्य गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। सदस्य भी इस आयोजन में शिरकत करते हैं। वहीं खुशवंत सिंह लिटफेस्ट का आयोजन उनके बेटे राहुल सिंह द्वारा किया जाता है। इसमें देश की नामी साहित्यकार व बॉलीवुड, राजनीतिक हस्तियां शामिल होती हैं।