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वैचारिक प्रदूषण सबसे खतरनाक : प्रो. राम किशोर

सोलन के संस्कृत कॉलेज में चल रहे तीन दिवसीय हिदी साहित्य सम्मेलन-प्रयाग के 72वें अधिवेशन एवं परिसंवाद के अंतिम दिन समाजशास्त्रपरिषद सेशन में वैचारिक प्रदूषण कारण व निवारण विषय पर चर्चा की गई। इसमें समाज में अन्य प्रदूषणों के अलावा वैचारिक प्रदूषण व उसके निवारण को लेकर विभिन्न वक्ताओं ने सारगर्भित चर्चा की। इस सत्र में डॉ. बद्री नारायण सभापति जबकि मुख्यातिथि के तौर पर प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री राधा रमण शास्त्री रहे। वहीं सम्मेलन के प्रधानमंत्री विभूति मिश्र प्रबंधमंत्री कुन्तक मिश्र सम्मेलन के सभापति प्रो. सुर्य प्रसाद दीक्षित सहायक मंत्री श्याम कृष्ण पांडेय व समहारी संचालक प्रो. हरिनारायण दुबे विशेष तौर पर मौजूद रहे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Mar 2020 08:21 PM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2020 06:26 AM (IST)
वैचारिक प्रदूषण सबसे खतरनाक : प्रो. राम किशोर
वैचारिक प्रदूषण सबसे खतरनाक : प्रो. राम किशोर

मनमोहन वशिष्ठ, सोलन

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सोलन के संस्कृत महाविद्यालय में तीन दिवसीय हिदी साहित्य सम्मेलन-प्रयाग के 72वें अधिवेशन एवं परिसंवाद के अंतिम दिन समाजशास्त्र परिषद सत्र में 'वैचारिक प्रदूषण कारण व निवारण' विषय पर चर्चा की गई।

सम्मेलन के साहित्य मंत्री प्रो. राम किशोर शर्मा ने कहा कि विचार परिस्थितियों के हिसाब से बदलते रहते हैं। वैचारिक प्रदूषण से आज समाज बंटने की स्थिति में है। हम पर्यावरण प्रदूषण से बेशक परेशान है, लेकिन वैचारिक प्रदूषण सबसे खतरनाक है। कुछ दिन पहले ही निर्भया केस में सोशल मीडिया पर खबर आई कि तीनों आरोपितों ने आत्महत्या कर ली है, लेकिन बाद में यह अफवाह निकली। ऐसी अफवाहें ही वैचारिक प्रदूषण हैं।

प्रो. शर्मा ने कहा कि नेता विचारों को सुविधानुसार उपयोग करते हैं। पहले भाषण देते हैं और हल्ला होने पर मुकर जाते हैं। आप महात्मा गांधी को गलत बोल सकते हो, लेकिन डॉ. भीम राम अंबेडकर को नहीं, क्योंकि बड़ा वर्ग उन्हें अपना नेता मानता है।

इस सत्र में वैचारिक प्रदूषण व उसके निवारण को लेकर विभिन्न वक्ताओं ने सारगर्भित चर्चा की। सत्र में डॉ. बद्री नारायण सभापति, जबकि मुख्य अतिथि के तौर पर हिमाचल के पूर्व शिक्षा मंत्री राधा रमण शास्त्री रहे। सम्मेलन के प्रधानमंत्री विभूति मिश्र, प्रबंधमंत्री कुन्तक मिश्र, सम्मेलन के सभापति प्रो. सुर्य प्रसाद दीक्षित, सहायक मंत्री श्याम कृष्ण पांडेय व समहारी संचालक प्रो. हरिनारायण दुबे भी मौजूद रहे।

वैचारिक था महाभारत का युद्ध : डॉ. दिनेश

अपने अभिभाषण में डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि वैचारिक प्रदूषण समाज में फैला हुआ है। इसका मूल कारण सही व संस्कारिक शिक्षा का अभाव है। उन्होंने इंटरनेट पर नकारात्मक विज्ञापनों को भी वैचारिक प्रदूषण का कारण माना। उन्होंने कहा कि वैचारिक प्रदूषण आज से नहीं अपितु महाभारत काल से है। महाभारत युद्ध वैचारिक था। यह द्रोपदी के अहंकार और भीष्म पितामह की चुप्पी के कारण हुआ था। यह भी एक वैचारिक प्रदूषण ही था।


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