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हिदी को विज्ञान और प्रौद्योगिकी श्रेत्र के शीर्ष पर देखना लक्ष्य : विभूति

हिमाचल के सोलन में शुक्रवार को हिदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग का शुभांरभ हो गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 10:43 PM (IST)Updated: Sat, 29 Feb 2020 06:23 AM (IST)
हिदी को विज्ञान और प्रौद्योगिकी श्रेत्र के शीर्ष पर देखना लक्ष्य : विभूति
हिदी को विज्ञान और प्रौद्योगिकी श्रेत्र के शीर्ष पर देखना लक्ष्य : विभूति

सुनील शर्मा, सोलन

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हिदी साहित्य सम्मेलन-प्रयाग के तीन दिवसीय 72वें अधिवेशन एवं परिसंवाद का शुक्रवार को हिमाचल के सोलन में शुभारंभ हुआ। संस्था के प्रधानमंत्री विभूति मिश्र ने कहा कि वह विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हिदी को शीर्ष पर देखना चाहते हैं। संस्था कई वर्षो से हिदी के प्रचार व प्रसार के लिए राष्ट्र स्तर पर सम्मेलन करवाती है।

संस्था पहली मई, 1910 से हिदी के प्रचार-प्रसार में लगी है। इसे पल्लवित व पुष्पित करने में महात्मा गांधी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद सहित अन्य कई राष्ट्र नायकों की भूमिका रही है। देश में आयोजित इन कार्यक्रमों का मूल उददेश्य प्रत्येक क्षेत्र में देवनागरी लिपि और हिदी भाषा का प्रचार प्रसार करना है। साथ ही अहिदी भाषी राज्यों में भी आयोजन करवाए जाते हैं ताकि वहां की भाषा में लिखित और मुद्रित प्रतिष्ठित ग्रंथों का हिदी अनुवाद किया जा सके। पूरे देश सहित विश्व को एक भाषा में पिरोया जा सके। अधिवेशन देश के विभिन्न राज्यों से हिदी व संस्कृत के साहित्यकारों सहित कई लेखक पहुंचे हैं। पांडेय रखेंगे एक राष्ट्र एक भाषा पर विचार

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से भाषाविद् व समीक्षक डॉ. पृथ्वीनाथ पांडेय भी अधिवेशन में बतौर विशिष्ट वक्ता पहुंचे हैं। वह एक राष्ट्र, एक भाषा विषय पर विचार रखेंगे। इस तरह के सम्मेलन से शुद्ध हिदी का उपयोग करने और बहुविध प्रचार व प्रसार पर जोर दिया जाता है। इससे पहले अरुणाचल के ईटानगर में भी इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। अमेरिका भी करने लगा भारतीय वास्तुशास्त्र में विश्वास : मिश्र

संपूर्णनंद संस्कृत महाविद्यालय वाराणसी के पूर्व कुलपति एवं प्रख्यात संस्कृत विद्वान पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र ने 'दैनिक जागरण' से बातचीत में कहा कि संस्कृत भाषा की स्थिति देश में पहले के मुकाबले काफी अच्छी है। इतिहास गवाह है कि जो मातृभाषा से विमुख हुआ उसका पतन हुआ है। संस्कृत का मूल उद्देश्य राष्ट्र को जोड़ना है। इसमें विघटन की बिल्कुल भी गुंजाइश नहीं। आज अमेरिका जैसे देशों में भारतीय वास्तु शास्त्र की आवश्यकता को महसूस किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश निवासी प्रो. अभिराज हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष पद पर भी सेवाएं दे चुके हैं।

फर्जी डिग्रियां देने वाले को भगवान देगा सजा प्रो. अभिराज ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों द्वारा फर्जी डिग्रियां बांटना दुर्भाग्यपूर्ण है। मनुष्य ही है जो देवता भी बनता है और दानव भी। ऐसे लोगों को भगवान ही सजा दे सकता है।


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