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ह‍िमाचल: प्लास्टिक नदी के बाद अब सोलन से निकली केमिकल नदी

ह‍िमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में पर्यावरण से जमकर ख‍िलवाड़ हो रहा है। यहां की नदी नाले जहरीले पानी से भरने लगे हैं, तो हवा भी काफी दूष‍ित हो रही है।

By Munish DixitEdited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 01:39 PM (IST)Updated: Fri, 31 Aug 2018 01:39 PM (IST)
ह‍िमाचल: प्लास्टिक नदी के बाद अब सोलन से निकली केमिकल नदी
ह‍िमाचल: प्लास्टिक नदी के बाद अब सोलन से निकली केमिकल नदी

सुनील शर्मा, बद्दी (सोलन): ह‍िमाचल प्रदेश में शिमला से सोलन की तरफ बहने वाली अश्विनी खड्ड के प्लास्टिक नदी के नामकरण के बाद अब ज‍िला सोलन में स्‍थ्‍ा‍ित औद्योगिक क्षेत्र बद्दी से सतलुज की तरफ बहने वाली सरसा व बाल्द नदी को अब केमिकल रीवर का नाम दिया जा रहा है। शुक्रवार सुबह जैसे ही चंडीगढ़ और पिंजौर की तरफ से उद्योगपति और राहगीर बद्दी की तरफ आए तो बद्दी के प्रवेश द्वार के निकट बहने वाली बाल्द नदी का नजारा देखकर सब हैरान रह गए।

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नदी में दूर दूर तक दिखने वाली सफेद झाग को देखकर यहां लोगों का बड़ा जमघट लग आया और सबने इसकी वीडियो बनाकर फेसबुक व अन्य साइटों पर भी वायरल किया। इसके बाद से अब इस नदी को कैमिकल रीवर का नाम मिलने लगा है। हैरानी इस बात की है कि प्रदूषण न‍ियंत्रण बोर्ड के अधिकारी बद्दी में मौजूद होने के बाद भी इस तरह का मामला सामने आना बड़े सवाल पैदा कर रहा है। हालांकि यह पहला अवसर नहीं जब नदी में सफेद झाग दिख रही है लेकिन इतने बड़े स्तर लोगों ने पहली बार सफेद झाग देखी है जो दूर दूर तक बहती हुई नजर आ रही है।

 

इतना ही नहीं यह झाग उडकर नेशनल हाइवे पर सफर करने वाले वाहनों और पास लगने घरों पर भी उड़ कर पहुंच रही है। इससे लोगों की फसल भी खराब हो रही है और उनके गंभीर बिमारियों के चपेट में आने का खतरा भी पैदा होने लगा हे। बरोटीवाला की तरफ से बहने वाली यह बाल्द नदी रात से इसी तरह बह रही है जो कि आगे सरसा नदी से मिली है। सरसा नदी आगे जाकर सतलुज नदी से मिलती है। इस तरह से बद्दी से सतलुज तक का नदी का सारा सफर अब जहरीला हो चुका है। यहां मछलियों सहित नदी किनारे मवेशियों और किसानों के लिए भी यह नदी अब नरक के कम साबित नहीं हो रही है।

प्रदूषण न‍ियंत्रण बोर्ड के अध‍िकार‍ियों से जब बात की जाती है तो अकसर उनका कहना यही है कि अब हालात नियंत्रण में हैं, लेकिन बद्दी औद्योगिक शहर का हर नागरिक जानता है कि सच्चाई क्या है। यहां तक की मानपुरा पंचायत में लोगों ने 150 फीट गहराई तक साफ पानी की खुदाई की लेकिन उन्हें 150 फीट गहराई तक भी जहरीला पानी ही मिला है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की कार्रवाई उद्योगों पर किस कदर लचीली है।


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