खीरे, करेले और कद्दू की करें बीजाई
डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के अनुसार आने वाले पांच दिनों में मौसम परिवर्तनशील रहने की संभावना है। दिन व रात के तापमान में 1.2 डि.से. की बढ़ोतरी होने की संभावना है। हवा की गति दक्षिण पूर्व दिशा से आठ से 12 किमी प्रति घंटा चलने की संभावना है। यह जानकारी विवि के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा पर्यावरण विज्ञान विभाग के कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. मोहन सिंह जॉगड़ा ने दी। - बॉक्स सप्ताहिक कृषि कार्य सब्जी फसलों संबंधित कार्य अनुमोदित किस्मों की ही बीजाई का कार्य इस सप्ताह अवश्य पूरा कर लें। फ्रासबीन की बौनी किस्मों वीएल-1 पूसा पार्वती व कंटेन्डर आदि की 45 बाई 15 सेंमी की दूरी पर बुआई करें। खीरे करेले और कद्दू की बीजाई भी पूरी करें।
संवाद सहयोगी, सोलन : डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के अनुसार आने वाले पांच दिन में मौसम परिवर्तनशील रहने की संभावना है। दिन व रात के तापमान में 1.2 डि.से. की बढ़ोतरी होने की संभावना है। हवा की गति दक्षिण पूर्व दिशा से आठ से 12 किमी प्रति घंटा चलने की संभावना है। यह जानकारी विवि के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा पर्यावरण विज्ञान विभाग के कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. मोहन सिंह जॉगड़ा ने दी। अनुमोदित किस्मों की ही बीजाई का कार्य इस सप्ताह अवश्य पूरा कर लें। फ्रासबीन की बौनी किस्मों वीएल-1, पूसा पार्वती व कंटेंडर आदि की 45 बाई 15 सेंमी की दूरी पर बुआई करें। खीरे, करेले और कद्दू की बीजाई भी पूरी करें। सेब में संजोस स्केल व माइट की रोकथाम के लिए हिन्दुस्तान पेट्रोलियम तेल 4 लीटर/200 लीटर पानी का छिड़काव करें। स्ट्राबेरी में फलों को जमीन पर न लगने दें तथा बैविस्टीन 100 ग्राम/200 लीटर पानी या कैप्टान 600 ग्राम/200 लीटर पानी का छिड़काव करें। आम में चूर्णी फफूंद व झुलसे की रोकथाम के लिए बैविस्टीन/कोंटाफ 100 ग्राम/200 लीटर पानी का छिड़काव करें। आम के हॉपर की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफॉस 200 मिलीलीटर/200 लीटर पानी या इमीडाक्लोरपिड 40 मिलीलीटर/200 लीटर पानी का छिड़काव करें।
पशु धन संबंधी कार्य
इस समय में बाह्य परजीवियों की अधिकता पाई जाती है। इनसे बचाव हेतु पशुओं के शरीर पर साइपरमेथ्रिन घोल एक लीटर पानी में 2.2.5 मिलीलीटर साइपरमेथ्रिन का स्प्रे करें।
पुष्प उत्पादन संबंधी कार्य
ग्लेडियोलस की रोपाई का काम पूरा कर लें। पौधशाला में गर्मियों के फूलों की बीजाई के लिये क्यारियां तैयार कर लें।
मौनपालन संबंधी कार्य :
शिशु पालन को बढ़ावा देने हेतु बसंत ऋतु में अनुपूरक खुराक 1:1 चीनी का घोल दें। मौनगृह की सफाई करें व रानी रहित मौनवंशों को दूसरे मौनवंश में मिला दें।