स्वास्थ्य रहने के लिए अस्पताल नहीं, सही खाना जरूरी : अरिंदम
जागरण संवाददाता, सोलन : वर्टीकल फार्मिग और शून्य लागत खेती के लिए संस्था ने जिला शिमला व सो
जागरण संवाददाता, सोलन : वर्टीकल फार्मिग और शून्य लागत खेती के लिए संस्था ने जिला शिमला व सोलन में एक विशेष अभियान शुरू किया है। अभियान के तहत सोलन में किसानों व वैज्ञानिकों के लिए एक वर्कशाप का आयोजन किया गया। इस वर्कशाप में किसानों व वैज्ञानिकों को वर्टीकल फार्मिग के लाइव प्रोग्राम दिखाए गए जिन्हें देखकर किसानों और वैज्ञानिकों ने अपने जिज्ञासाओं को भी पूरा किया। इस मौके पर जिलाभर के कई क्षेत्रों से लोग यहां पहुंचे थे। प्रोजेक्ट के प्रमुख अरिंदम ने कहा कि देश में वर्टीकल खेती की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है, जबकि दुनिया के कई देशों में इसे तेजी से बढ़ाया जा रहा है। छोटे से परिसर में शून्य लागत खेती के साथ ही वर्टीकल फार्मिग को अपनाया जा सकता है। एक छोटे से पाइप में किस तरह वह एक टमाटर के स्थान से 50 टमाटर का उत्पादन करेंगे, इसका लाइव डैमो भी किसानों को दिखाया गया।
कहा कि किसानों के लिए वर्टीकल फार्मिग एक नया अविष्कार है। इस खेती में मिट्टी के बिना प्लास्टिक के पाइप में खेती की जाती है। जंगली जानवर से खेती को खतरा भी खत्म हो जाता है और प्लास्टिक पाइप में एक टमाटर के स्थान पर 70 पौधे की खेती की जा सकती है। इससे फसल के परिणाम में कई गुणा वृद्धि होती है। किसान इस खेती को अपनाना शुरू कर चुके हैं और इसके लिए ट्रेनिंग लेना भी शुरू कर चुके हैं, लेकिन अभी ऐसे किसानों की संख्या प्रदेश में कम है। इस प्रक्रिया से दूर दराज क्षेत्र किन्नौर, लाहुल स्पीति की तरह कठिन जलवायु में भी आसानी से इस खेती के परिणाम देखे जा चुके हैं।
अरिंदम ने कहा कि वह जिला सोलन में 17 और जिला शिमला में आठ किसाने मित्र केंद्र खोलने जा रहे हैं। इसके साथ अगले दो वर्षो में उन्होंने पूरे प्रदेश में करीबन नौ हजार किसान मित्र केंद्र खोलने का लक्ष्य रखा है। इस मौके पर राजेश शर्मा ने इस विधि के सफल का बड़ा उदाहरण स्वयं को प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि वह भी शून्य लागत खेती की दिशा में कार्य कर रहे हैं और समाज में उन्हें अलग सम्मान मिल रहा है। उन्होंने किसानों को शून्य लागत खेती के लिए प्रेरित किया और कहा कि हमें अस्पताल जाने की आवश्यकता ही नहीं होगी अगर हम अपना खान पान सुधार लेंगे। रसायनयुक्त भोजन से ही बीमारियां पैदा हो रही हैं और जमीन बंजर होती जा रही है।