हरियाली के लिए मिली शाबाशी
हिमाचल प्रदेश में वन एवं पर्यावरण को बचाने के लिए जहां वन समितियां अपने प्रयास कर रही है। वहीं वन विभाग भी पर्यावरण को बचाने में अहम योगदान दे रहा है। ऐसे ही एक शख्स हैं नाहन वन मंडल के तहत सलानी नर्सरी में कार्यरत वनरक्षक राजेश कुमार। पिछले कुछ समय से नाहन वन मंडल की सलानी नर्सरी में कार्यरत राजेश कुमार ने यहां पौधे की कई किस्में तैयार की है। जिन्हें जिला सिरमौर के विभिन्न क्षेत्रों में पौधा जा रहा हैं। सलानी नर्सरी 0.750 हेक्टेयर में फैली है।
राजन पुंडीर, नाहन
सिरमौर जिले की सलानी नर्सरी में कार्यरत वनरक्षक राजेश कुमार राजेश कुमार को हाल ही में मंडी में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सर्वोत्तम पौधशाला प्रबंधन के द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्होंने यहां पौधों की कई किस्में तैयार की हैं। जिन्हें जिला के विभिन्न क्षेत्रों में भेजा जा रहा हैं। नर्सरी में नीम, आंवला, बेड़ा, जामुन, बेर, खैर व विभिन्न फूलों की प्रजातियां प्रतिवर्ष तैयार की जाती हैं। उसके बाद जुलाई व दिसंबर में पौधारोपण के दौरान जिला के विभिन्न भागों के लिए यहां से पौधे आबंटित किए जाते हैं। कुछ पौधे वन विभाग डिमांड के अनुसार विभिन्न मंडलों को उपलब्ध करवाता है। ऐसी है सलानी नर्सरी
0.750 हेक्टेयर में फैली सलानी नर्सरी को बहुत अच्छे ढंग से तैयार किया है। इसमें इस वर्ष 18,825 पौधे तैयार किए, जिसमें से 13 हजार पौधारोपण के लिए विभिन्न वन मंडलों में भेजा गया है। नर्सरी में विभिन्न फूलों की प्रजातियों के 1 लाख 8 हजार ओनामेटल प्लांट तैयार किए थे, जोकि पौधारोपण के लिए डिमांड के अनुसार भेजे जा रहे हैं। निजी भूमि के लिए भी देते हैं पौधे
जो लोग निजी भूमि में पौधारोपण करना चाहते हैं। उनके लिए इस नर्सरी में पौधे बिक्री के लिए उपलब्ध होते हैं, जिसका दाम प्रदेश द्वारा निर्धारित किया है। एक वर्ष तक के पौधे की कीमत आठ रुपये, एक से डेढ़ वर्ष तक के पौधे की कीमत 15 रुपये तथा डेढ़ से दो वर्ष तक के पौधे की कीमत 50 रुपये रखी है। जैविक खाद का होता है प्रयोग
नर्सरी में पौधों को खुराक व कीटों से बचाने के लिए स्वयं तैयार की जैविक खाद (वेस्ट डी कंपोस्ट) का प्रयोग होता है।
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विभिन्न क्षेत्रों से भी बीज एकतित्र कर उन्हें थैलियों में छानी हुई मिट्टी में डाल दिया जाता हैं, ताकि वह अंकुरित हो सके। नर्सरी में चार कर्मचारी है। नर्सरी में जब बीज तैयार करने का कार्य होता है, तो निजी तौर पर भी सहायता ली जाती है, ताकि समय पर कार्य पूरा हो सके।
-राजेश कुमार, वनरक्षक एवं प्रभारी, सलानी नर्सरी।