औषधीय गुणों से भरपूर जंगली अनार कर रहा है मालामाल
औषधीय गुणों से भरपूर अनारदाना पच्छाद के लोगों की आय का मुख्य साधन बन गया है ।
नैनाटिक्कर, अनुराधा अत्री। प्रकृति ने पृथ्वी पर मानव जीवन के लिए हर छोटी-बड़ी वस्तु की व्यवस्था की है। हम इनका सही दोहन कर शरीर को स्वस्थ रखने के साथ आय अर्जित कर सकते हैं। प्रकृति के इसी खजाने में से एक है जंगली अनार, जिसे स्थानीय भाषा में दाड़ू कहा जाता है। हमारे बुजुर्गों ने भी दाड़ू के महत्व को देखते हुए ही शायद इसे धार्मिक महत्व दिया है।
सिरमौर जिला के पच्छाद में जंगली अनार लोगों की आय का एक मुख्य जरिया है। खट्टे-मीठे स्वाद और औषधीय गुणों से भरपूर अनारदाने की भारी डिमांड रहती है। पच्छाद के धारटीधार क्षेत्र की करीब 12 पंचायतों में अनारदाना किसानों की आर्थिकी में एक दशक से अहम भूमिका निभा रहा है। आजकल इसका सीजन पीक पर है। जंगली अनार को पौधों से तोड़कर इससे दानों को अलग करके सुखाया जाता है। पिछले वर्ष किसानों को 500 रुपये तक प्रति किलो के मिले थे।
आजकल पौधे जंगली अनारों से लदे हैं। लोग इन्हें तोड़कर दाना निकालने में लगे हुए हैं। बिना किसी स्प्रे व खर्चे के ही किसानों को अनारदाना मालामाल कर रहा है। लेकिन किसानों को अभी तक अनार से दाना निकालने की कोई तकनीकी मदद न मिलने के कारण पेरशानी झेलनी पड़ती है। इससे दाना निकालने में काफी वक्त लगता है। इसके सड़ने का भी अधिक खतरा रहता है।
सामान्य अनार की तुलना में इसका छिलका काफी मोटा होता है और दाने छोटे होते हैं। किसानों के अनुसार यदि दाना निकालने की कोई मशीन बन जाए तो उनका वक्त भी बचेगा तथा फल खराब होने से बचेगा। इस साल शुरू में ही अनारदाना का दाम 300 रुपये प्रति किलो बताया जा रहा है। जंगलों में खुद उगते हैं पौधे
जंगली अनार के पौधे खुद ही उगते हैं। लोग अनार जंगलों से ही तोड़ कर लाते हैं। हालांकि अब लोगों ने दाड़ू के बगीचे लगाने भी शुरू कर दिए हैं। इसका पौधा तीन से चार साल में ही फल देने लग जाता है। पौधे की उम्र 20 से 25 साल तक होती है।