इस घोंसले में पनपने लगी उम्मीद
औद्योगिक विकास जहां एक तरफ प्रदेश में समृद्धि और खुशहाली ला रहा है। वही उद्योगों से निकलने वाले जहरीले धुएं से बढ़ रहे प्रदूषण के चलते जीव जंतु पक्षी व मनुष्यों के लिए भारी परेशानियों का सबब बन गया है। जिला सिरमौर के कालाअबं में तीन दशक पहले शुरू हुआ औद्योगिक विकास अब स्थानीय लोगों व पशु-पक्षियों के लिए बड़ी समस्या बन गए हैं। जिसके चलते कालाअंब क्षेत्र से कई पक्षियों सहित जंगली जानवरों की कई प्रजातियां लुप्त हो गए हैं या उन्होंने यहां से प्लायन कर लिया है।
राजन पुंडीर, नाहन
उद्योगों के जहरीले धुएं बीच नन्हे मुन्नों के बनाए घोंसलों में उम्मीद पनपने लगी है। उम्मीद.. पर्यावरण संरक्षण और पक्षियों का पलायन रुकने की। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय मोगीनंद के शिवालिक ईको क्लब ने पक्षियों के पुनर्वास का बीड़ा उठाया है। ये बच्चे स्कूल परिसर व कालाअंब क्षेत्र में पौधे उगाकर व इन पर प्लास्टिक की खाली बोतलों से बनाए घोंसले टांगकर पक्षियों का पलायन रोक रहे हैं। बेशक ये छोटे छोटे घोंसले हैं, लेकिन इसमें अब एक संसार बसने लगा है। ईको क्लब ने पांच जून, 2017 को यह अभियान शुरू किया था। अभी तक 12 विद्यार्थियों की टीम ने क्षेत्र में 500 से अधिक घोंसले बनाए हैं। इनमें से 100 में पक्षियों ने रहना शुरू कर दिया है और 24 से अधिक में चिड़ियों ने अंडे भी दिए हैं। शिक्षा विभाग की ओर से इस क्लब को दो बार सर्वश्रेष्ठ ईको क्लब का पुरस्कार मिल चुका है।
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ऐसे होता है काम
शिवालिक ईको क्लब के सदस्य रमन, दक्ष, अंजलि, रोहित, आयुष, पारस, काजल, आकांक्षा, अभिषेक, रितिका व दलजीत प्लास्टिक की खाली बोतलों को एकत्रित करते हैं। उसके बाद इनको घोंसले के आकार में एक तरफ से काटा जाता है और पेड़ों पर लटकाया जाता है। इससे क्षेत्र में विलुप्त हो रही पक्षियों की प्रजातियों को नया जीवन मिल रहा है। घर से की शुरुआत
स्कूल के विज्ञान प्रवक्ता संजीव अत्री ने बताया कि सबसे पहले उन्होंने प्लास्टिक की बोतलों के 10 घोंसले अपने घर लगाए थे। इनमें पक्षियों ने रहना शुरू किया। अब स्कूल के शिवालिक ईको क्लब के विद्यार्थियों के साथ मिलकर योजना को साकार कर रहे हैं। विद्यार्थी जहां पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं, वहीं ग्रामीणों को जागरूक भी किया जा रहा है।
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उद्योग बने पक्षियों के पलायन का कारण
सिरमौर के कालाअंब क्षेत्र में तीन दशक पहले शुरू हुआ औद्योगिक विकास स्थानीय लोगों व पशु-पक्षियों के लिए बड़ी समस्या बन गया है। उद्योगों के जहरीले धुएं से कई पक्षियों व जानवरों की प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं या पलायन कर लिया है। जिसका कारण औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब के उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण व जहरीला धुआं है। विज्ञान के प्रवक्ता ने बताया कि कुछ पक्षियों की प्रजातियां पेड़ों की पत्तियों में फूलों की सुगंध के कारण ही विचरण करती हैं।
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अगले दो साल में पक्षियों के लिए 3000 बसेरे बनाने का लक्ष्य है। इसके लिए शिवालिक ईको क्लब प्रयास कर रहा है।
-संजीव अत्री, स्कूल के विज्ञान प्रवक्ता।