मत्स्य पालकों को आइस फ्रिज बनाने के सरकार देगी सबसिडी
जागरण संवाददाता नाहन जिला सिरमौर कृषि व नगदी फसलों के बाद मत्स्य क्षेत्र में भी देश का सिर
जागरण संवाददाता, नाहन : जिला सिरमौर कृषि व नगदी फसलों के बाद मत्स्य क्षेत्र में भी देश का सिरमौर बने इसके लिए प्रदेश सरकार किसानों की हर संभव सहायता के लिए तैयार है। यह बात कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य मंत्री वीरेंद्र कंवर ने नोहराधार के समीप चौरास में ट्राउट फिश फार्म का निरीक्षण करने के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि जिला सिरमौर के किसान एवं बागवान वीरेंद्र सिंह व जितेंद्र ठाकुर ने नोहराधार के समीप ट्राउट फिश फार्म बनाकर लोगों के लिए मत्स्य पालन की राह आसान की है। उन्होंने थानीय किसान वीरेंद्र सिंह को ट्राउट फिश फार्म तैयार करने पर बधाई दी। ट्राउट फिश को ले जाने के लिए आइस फ्रिज बनाने के लिए भी सरकार की ओर से सबसिडी प्रदान की जाएगी।
वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश के मत्स्य पालकों को यातायात पर भी सबसिडी दिए जाने पर सरकार विचार कर रही है। किसान वीरेंद्र सिंह ने बताया कि हाल ही में उन्होंने अपने फार्म में फिश फीड मिल लगाई है। इससे वह ट्राउट फिश को देने वाली सीड को तैयार कर रहे हैं। भविष्य में ट्राउट फिश के लिए सीड तैयार करने वाली हैचरी का निर्माण भी करेंगे। स्थानीय निवासी विरेंद्र सिंह ने कृषि व पशुपालन मंत्री का ट्राउट फिश फार्म पर निरीक्षण करने तथा उन्हें प्रोत्साहन देने के लिए आभार जताया।
------------------------
12 लोगों को रोजगार दे रहे विरेंद्र
विरेंद्र सिंह ने अपने ट्राउट फिश फार्म में नियमित तौर पर 12 लोगों को रोजगार भी दिया है। करीब ढाई करोड़ के इस प्रोजेक्ट में उन्होंने करीब 45 लाख रुपए अपने भी खर्च किए हैं। करीब दो करोड रुपये की सबसिडी ट्राउट फिश फार्म लगाने के उन्हें मत्स्य विभाग से मिली है। वर्तमान में नोहराधार के किसान विरेंद्र सिंह के ट्राउट फिश फार्म पर 60,000 फिश का सीड 12 टैंको में तैयार किया जा रहा है। इसमें से 20,000 ट्राउट तैयार हो चुकी है। अब वह प्रतिमाह 200 किलो ट्राउट फिश चंडीगढ़, दिल्ली, शिमला, सोलन व कसौली के होटलों में डिमांड के अनुसार भेजे रहे हैैं।
पतलीकूहल में ट्राउट फिश फार्म देखकर आया था आइडिया
किसान विरेंद्र सिंह ने बताया कि वह परिवार के सदस्यों के साथ कुछ वर्ष पूर्व लेह लद्दाख से वापस आ रहे थे। इस दौरान उन्होंने मनाली के पतलीकूहल में ट्राउट फिश फार्म देखा तथा उन्होंने इसके बारे में जानकारी हासिल की। उन्हें पता चला कि ट्राउट फिश बर्फ के पानी मैं अच्छी तरह तैयार होती है। उनके पास भी जिला सिरमौर की सबसे ऊंची चोटी चूड़धार से पिघल कर आने वाले बर्फ का पानी था, जो उनकी जमीन चौरास के साथ नाले में बहता था। उन्होंने बेकार बहते हुए पानी को टैंको में एकत्रित कर मत्स्य पालन का व्यवसाय शुरू किया।