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एफडी और आरडी की आड़ में जुटाई लोगों के खून पसीने की कमाई, अब पांच करोड़ रुपये की ठगी कर फरार

Five Crores Rupees Fraud पांवटा साहिब में सैकडों लोगों से उत्‍तर प्रदेश की एक कंपनी करोड़ों रुपये का गबन कर फरार हो गई है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Tue, 21 Jan 2020 02:35 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jan 2020 02:35 PM (IST)
एफडी और आरडी की आड़ में जुटाई लोगों के खून पसीने की कमाई, अब पांच करोड़ रुपये की ठगी कर फरार
एफडी और आरडी की आड़ में जुटाई लोगों के खून पसीने की कमाई, अब पांच करोड़ रुपये की ठगी कर फरार

नाहन, जेएनएन। पांवटा साहिब में सैकडों लोगों से उत्‍तर प्रदेश की एक कंपनी करोड़ों रुपये का गबन कर फरार हो गई है। पिछले सात वर्षों से पांवटा में एफडी व आरडी की आड़ में करोड़ों रुपये का गबन उक्त कंपनी द्वारा किया गया। पांवटा साहिब से नाहन पंहुचे तीन दर्जन पीडि़तों ने जिला पुलिस अधीक्षक अजय कृष्ण शर्मा से मुलाकात में अपना दुखड़ा व्यक्त किया। साथ ही आराेपित कंपनी के पदाधिकारियों के खिलाफ मामला ददर्ज करने की गुहार भी लगाई।

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प्रतिनिधिमंडल ने एसपी को बताया कि वर्ष 2013 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर निवासी सूरज पुंडीर ने रेज फील्ड बिजनेस एंटरप्राइसिस लिमिटेड के बारे में उन्‍हें बताया। फिर सहारनपुर के ही रविंद्र कुमार को बतौर डीजीएम पांवटा के लोगों को उनसे मिलवाया। स्कीम के तहत आरडी व एफडी के माध्यम से पैसा लिया जाता था। जिसका निवेश रियल एस्टेट में करने की बात बताई गई थी। पीडि़तों के अनुसार उन्हें कंपनी की बड़ी-बड़ी संपत्तियों को दिखाया गया। इसमें आगरा के एक स्कूल को भी दर्शाया गया था।

पीडि़तों के मुताबिक एकत्रित की गई राशि की 7 दिन बाद उन्हें सहारनपुर से रसीद दी जाती थी। अप्रैल 2014 में रियल एस्टेट के कानून में बदलाव पर रिन्युअल को जारी रखा गया। 2014 में एक अन्य कंपनी टैक्सस फूडस एंड बिव्रेजिज इंडिया लिमिटेड की एवज में धन संकलन शुरू कर दिया। अक्‍टूबर 2014 में पांवटा साहिब में कार्यालय भी खोल दिया गया। पीडि़तों की मानें तो लगभग 5 करोड़ का गबन कर लिया गया है। इसके बाद से सैंकड़ों लोग ठगे हुए महसूस कर रहे हैं।

2017 में हिमाचल से ही रजिस्टर्ड एक नई कंपनी बना दी गई। अक्‍टूबर 2018 तक जिन लोगों की मैच्योरिटी हुई थी, उनकी अदायगी कर दी गई। मगर इसके बाद झूठे प्रलोभन देकर भुगतान को टाला जाने लगा। एक ऐसी कंपनी भी बनाई, जिसमें 11 हजार रुपये जमा करवाने पर 20 महीने तक प्रतिमाह 720 रुपए का भुगतान किया जाता था। जून 2019 में पांवटा साहिब से कार्यालय को समेट लिया गया।

आरोप यह भी है कि शातिरों ने लोगों के धन का उपयोग अपने इस्तेमाल के लिए किया। इसमें रविन्द्र कुमार शर्मा भी शामिल है, जो पांवटा साहिब, करनाल व रुड़की की शाखाओं को देखता था। पीडि़तों ने शिकायत में पांच कंपनियों के अलावा आधा दर्जन लोगों को उनकी खून-पसीने की कमाई को हड़पने को लेकर नामजद किया है। पुलिस अधीक्षक ने प्रतिनिधिमंडल को इस बारे में जल्द ही ठोस कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।


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