मेला राम की बूढ़ी दीवाली ने दिलाया हिमाचल को गौरव
मुंबई में आयोजित कलासमृद्धि अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव में पहली बार हिमाचल की संस्कृति के बहुरंगी रंगों ने न केवल अपनी छटा बिखेरी बल्कि हिमाचल के फिल्म निर्देशक मेला राम शर्मा द्वारा निर्देशित डोक्यूमेंट्री फिल्म बूढ़ी दीवाली को स्पेशल जूरी अवार्ड से भी नवाजा गया। प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव में यह गौरव दिलाने वाली यह डोक्यूमेंट्री सिरमौर जिला के श्रीरेणुकाजी और शिलाई क्षेत्रों में प्राचीन काल से मनाए जाने वाले बूढ़ी दिवाली त्यौहार पर तैयार की गई है। इस डोक्यूमेंट्री फिल्म का चयन जब इस अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव के लिए हुआ था तब से हिमाचल के संस्कृति प्रेमियों की निगाहें इस फिल्म के प्रदर्शन पर लगी थी। 27 जून को मुंबई में संपन्न हुए इस फिल्मोत्सव के अवार्ड कार्यक्रम में इस डोक्यूमेंट्री को स्पेशल जूरी पुरस्कार प्राप्त हुआ। हिमाचल
जागरण संवाददाता, नाहन : मुंबई में आयोजित कला समृद्धि अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव में पहली बार हिमाचली संस्कृति ने न केवल छटा बिखेरी बल्कि हिमाचल के फिल्म निर्देशक मेला राम शर्मा द्वारा निर्देशित डाक्यूमेंट्री फिल्म बूढ़ी दीवाली को स्पेशल जूरी अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव में यह गौरव दिलाने वाली यह डोक्यूमेंट्री सिरमौर जिला के श्रीरेणुकाजी और शिलाई क्षेत्रों में प्राचीन काल से मनाए जाने वाले बूढ़ी दिवाली त्यौहार पर तैयार की गई है। इसका चयन जब अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव के लिए हुआ था, तबसे हिमाचल के संस्कृति प्रेमियों की निगाहें इस फिल्म के प्रदर्शन पर लगी थी। 27 जून को मुंबई में हुए कार्यक्रम में इस इसे स्पेशल जूरी पुरस्कार प्राप्त हुआ। हिमाचल सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से बतौर उप निदेशक सेवानिवृत्त मेला राम शर्मा ने हिमाचल के कला जगत को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अक्टूबर 2018 में चौथे अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव में भी उनकी फिल्म इन द टवीलाइट जोन ने हिमाचल की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार हासिल किया था। सिरमौर जिला से ताल्लुक रखने वाले मेला राम ने इस जिले की प्राचीन संस्कृति को अपनी डाक्यूमेंट्री में उतारा है। मात्र 21 मिनट की फिल्म में बूढ़ी दीवाली के दौरान अर्धरात्रि मशाल जुलूस से रासा व चोलटू नृत्य की समृद्ध परंपराओं को दर्शाया गया है। शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय पर्व दीपावली के एक माह के पश्चात शुरू होने वाले इस त्यौहार को यहां के लोग पांडवों के स्वराज्य की स्थापना की खुशी में मनाते हैं। शिलाई के द्राबिल गांव में बूढ़ी दिवाली के दौरान आयोजित होने वाला चोलटू नृत्य आज भी हिमाचल और उत्तराखंड के लोगों के लिए विशेष आकर्षण है।