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बिना संस्कार के प्रतिस्पर्धा कर पाना कठिन

राजन पुंडीर, नाहन प्रतिस्पर्धा के दौर में माता-पिता बच्चों पर अच्छे अंक लाने के लिए दबाव बना र

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 May 2018 07:11 PM (IST)Updated: Sat, 19 May 2018 07:11 PM (IST)
बिना संस्कार के प्रतिस्पर्धा कर पाना कठिन

राजन पुंडीर, नाहन

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प्रतिस्पर्धा के दौर में माता-पिता बच्चों पर अच्छे अंक लाने के लिए दबाव बना रहे हैं, लेकिन वे बच्चों को घर में शिक्षा का वातावरण नहीं दे पा रहे हैं। अधिकतर अभिभावक जिंदगी की भाग दौड़ में बच्चों को समय भी नहीं दे पा रहे। इसके बावजूद वे बच्चों पर परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए दवाब बना रहे हैं। प्रतिस्पर्धा के दौर में विद्यार्थियों को मात्र किताबों तक सीमित कर दिया गया है। उन्हें केवल टेस्ट में आने वाले सवालों का ही जवाब मिल रहा है। जबकि होना यह चाहिए कि उन्हें बाहरी दुनिया की जानकारी भी दी जाए। यदि बच्चों को अच्छे अंक लाने हैं तो उसके लिए माता-पिता को घर का वातावरण शिक्षामय बनाना होगा। साथ ही स्कूल जाकर देखना होगा कि उनके बच्चे किस माहौल में शिक्षा ग्रहण कर रहे है। इग्नू में एकेडमिक काउंसलर (सहायक प्रोफेसर) डॉ. मनोज शर्मा जोकि अखिल भारतीय संस्कृति विकास परिषद के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं, का कहना है कि माता-पिता को बच्चों पर अधिक से अधिक अंक लाने का दबाव नहीं बनाना चाहिए। बल्कि उनकी इच्छा के अनुरूप ही उनको विषय पढ़ने देना चहिए। अभिभावकों को परीक्षा में अंकों से ज्यादा अपने बच्चों के विषय की रुचि की ओर ध्यान देना चाहिए। यदि बच्चा आ‌र्ट्स संकाय पढ़ना चाहता है, तो उस पर अन्य संकाय के लिए दबाव नहीं बनाना चाहिए। जब तक शिक्षा में संस्कार नहीं होगे, तब तक शिक्षा में प्रतिस्पर्धा कर पाना कठिन होगा। आज की शिक्षा पाश्चात्य शिक्षा की ओर अग्रसर हो रही है। शिक्षा केवल धन कमाने के लिए दी जा रही है, जबकि शिक्षा आदर्श नागरिक बनाने के लिए होनी चाहिए। यदि घर और स्कूल का माहौल शिक्षा के प्रति अनुकूल होगा तो विद्यार्थी किसी भी विषय पर आसानी से अपनी पकड़ बना पाएंगे। देखने में यह आ रहा है कि कुछ माता-पिता बच्चों को इंजीनियर, साइंटिस्ट, डॉक्टर, आइएएस अधिकारी बनाना चाहते हैं, मगर उनके बच्चों की रुचि अन्य विषयों में होती है। जैसे कोई फोटोग्राफर, पत्रकार, अभिनेता या कोई राजनेता बनना चाहता है, मगर परिजनों की इच्छा के आगे बच्चे को मजबूरन अपनी इच्छा को दबाने के लिए विवश होना पड़ता है।


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