देवभूमि की 80 फीसद माताएं नवजात की बढ़ा रही रोग प्रतिरोधक क्षमता
देवभूमि हिमाचल की 80 फीसद माताएं नवजात के पैदा होने के एक घंटे में
यादवेन्द्र शर्मा, शिमला
देवभूमि हिमाचल की 80 फीसद माताएं नवजात के पैदा होने के एक घंटे में स्तनपान करवा उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा रही हैं। हालांकि अभी भी 20 फीसद महिलाओं को इसकी उपयोगिता का पता नहीं है। यह आंकड़े स्वास्थ्य विभाग के सर्वे के दौरान आए हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है कि प्रदेश की 40 फीसद माताएं छह माह तक अपना दूध न पिलाकर गाय-भैंस का दूध बच्चों को देती हैं। कोरोना संकट में यह खतरनाक हो सकता है। पहले छह माह मां का दूध ही संपूर्ण आहार होता है।
प्रसव के बाद माताओं को लगता है कि उनमें दूध नहीं बन रहा है, जबकि बच्चे को दूध की जितनी आवश्यकता होती है उतना दूध बनता है और जैसे-जैसे स्तनपान करवाती रहती हैं तो उससे दूध भी बढ़ता जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार दूध का बनना मानसिक सोच के कारण भी प्रभावित होता है। इसके लिए जरूरी है कि बच्चों को स्तनपान करवाएं और मां के लिए डाइट भी अच्छी होनी चाहिए।
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एक वर्ष में 35 फीसद वृद्धि
प्रदेश में नवजात को पहले एक घंटे के भीतर दूध पिलाने में 35 फीसद की वृद्धि एक वर्ष में हुई है। इसका कारण संस्थागत प्रसव में वृद्धि है। घर से अस्पताल और अस्पताल से घर वापसी के लिए मुफ्त एंबुलेंस सुविधा के कारण संस्थागत प्रसव में वृद्धि हुई है और इसका परिणाम है कि अब 80 फीसद महिलाएं जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान करवा रही हैं।
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पहला पीला दूध बच्चे के लिए अमृत के समान
डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार नवजात शिशु के लिए मां का पहले एक घंटे का पीला गाढ़ा दूध संपूर्ण आहार होता है। ये शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ फर्स्ट वैक्सीन का काम करता है, जो महिलाएं प्रसव के बाद स्तनपान नहीं करवा पाती हैं। ऐसे में मां के स्तन से दूध निकालकर चम्मच की मदद से बच्चे को पिलाना चाहिए।
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प्रदेश में 80 फीसद महिलाएं पहले प्रसव के एक घंटे के दौरान स्तनपान करवाती हैं। जागरूकता से काफी असर हुआ है, लेकिन इसे और बढ़ाने की आवश्यकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दो वर्ष तक दूध नहीं छुड़वाना चाहिए और छह माह पूर्ण होने पर शिशु को अन्य खाद्य आहार जैसे दाल, मथे हुए चावल और अच्छी तरह मसला हुआ खाना दो-तीन बार दिन में दें।
-डॉ. मंगला सूद, एसोसिएट प्रोफेसर, शिशु रोग विशेषज्ञ आइजीएमसी।