दरिया आर-पार होगा धरती का श्रृंगार
राज्य ब्यूरो, शिमला : सतलुज दरिया के आर-पार के क्षेत्रों में अब समृद्धि आएगी। वहां धरती का श्रृंगार किया जाएगा।
राज्य ब्यूरो, शिमला : सतलुज दरिया के आर-पार के क्षेत्रों में अब समृद्धि आएगी। वहां धरती का श्रृंगार होगा। पौधरोपण के जरिये पर्यावरण संरक्षण किया जाएगा। भू-कटाव की भी रोकथाम होगी। ऐसा वन समृद्धि प्रोजेक्ट से संभव होगा। इसे धरातल पर उतार दिया गया है। अब विश्व बैंक जल्द ही 400 करोड़ स्वीकृत करेगा। हालांकि गतिविधियां पहले से चालू हो गई हैं। सैद्धांतिक मंजूरी पहले ही मिल चुकी थी। केवल अंतिम मंजूरी मिलने का इंतजार है। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो फिर वर्षात यानी अगले महीने विश्व बैंक के साथ लोन एग्रीमेंट साइन हो जाएगा। साइन होने के बाद पिछले एक साल की गई तमाम गतिविधियों का खर्च बैंक वहन करेगा।
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पावर प्रोजेक्टों को मिलेगी संजीवनी
इस प्रोजेक्ट से सतलुज बेसिन पर स्थापित और निर्माणाधीन, प्रस्तावित प्रोजेक्टों को भी संजीवनी मिलेगी। पौधरोपण से नदी में सिल्ट में कमी आएगी। इससे मशीनों के रखरखाव पर खर्च होने वाली धनराशि की बचत होगी। बिजली भी ज्यादा पैदा हो सकेगी। इस बेसिन में 1500 मेगावाट की बिजली उत्पादन वाले नाथपा झाकड़ी, कोल बांध जैसे कई बड़े प्रोजेक्ट हैं। जंगी थोपन पोवारी प्रोजेक्ट भी यहीं पर बनेगा। इसे सरकार ने सतलुज विद्युत निगम को सौंपा है।
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कितना कर्ज चुकाएगा हिमाचल
हिमाचल विशेष श्रेणी राज्यों में शामिल है। इस कारण विश्व बैंक समेत विदेशी वित्तीय एजेंसियां कोई भी प्रोजेक्ट का 80 फीसद पैसा ऋण का रहता है। केवल 20 फीसद ही राज्य का हिस्सा यानी स्टेट शेयर होगा। 80 फीसद ऋण का 90 फीसद पैसा केंद्र चुकाएगा। इसका मतलब हुआ कि 100 रुपये में से 72 रुपये का कर्ज केंद्र देगा, राज्य केवल 28 रुपये वहन करेगा। वन समृद्धि प्रोजेक्ट का कर्ज 30 से 40 साल के बाद चुकाना होगा। यह आसान दरों पर लौटाया जाएगा।
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मारसेलो हेक्टर कर रहे टीम की अगुवाई
विश्व बैंक की एक टीम मारसेलो हेक्टर के नेतृत्व में हिमाचल आई है। यह वन विभाग के माध्यम से चलाए जा रहे इस प्रोजेक्ट की तैयारियां का जायजा ले रही है। इसे एप्रेजल मिशन कहा जाता है। यह अंतिम मिशन है। अब प्रोजेक्ट के लिए सीधे पैसा आएगा।
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नर्सरियों में तैयार हो रहे पौधे
औषधीय और दूसरे पौधों को नर्सरियों में तैयार किया गया है। कुछ नर्सरियों में यह प्रक्रिया चली हुई है। पौधे वहीं रोपे जाएंगे, जहां कैचमेंट एरिया ट्रीटमेंट प्लान कैट प्लान का पैसा खर्च नहीं किया गया है।
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यह प्रोजेक्ट 400 करोड़ का है। विश्व बैंक की टीम शुक्रवार तक प्रदेश में रहेगी। अगले महीने लोन एग्रीमेंट साइन होगा।
-समीर रस्तोगी, मुख्य परियोजना निदेशक।