पश्चिमी हवाओं ने प्रदेश में किया प्रवेश, बारिश-बर्फबारी की संभावना
24 फरवरी को राज्य के ऊपरी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी तो मैदानी और मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ओलावृष्टि और बारिश की संभावना है।
शिमला, जेएनएन। प्रदेशभर में दो दिन बारिश के आसार हैं। मौसम विभाग ने ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी और मध्यम ऊंचाई व निचले क्षेत्रों में बारिश और ओलावृष्टि की संभावना जताई है। वीरवार को सुबह की शुरुआत धूप खिलने से हुई, परंतु 11-12 बजे के आसपास आसमान पर बादल छाने शुरू हो गए।
मौसम विभाग की मानें तो पश्चिमी हवाओं ने प्रदेश में प्रवेश कर लिया है। 23 व 24 फरवरी को मौसम के तेवर कड़े रहेंगे। 24 फरवरी को राज्य के ऊपरी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी तो मैदानी और मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ओलावृष्टि और बारिश की संभावना है। बीते 24 घंटों के दौरान प्रदेश का अधिकतम व न्यूनतम तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वीरवार को प्रदेश का अधिकतम तापमान ऊना में 30.4 डिग्री सेल्सियस, जबकि न्यूनतम तापमान केलंग में माइनस 4.2 डिग्री सेल्सियस रहा।
कुल्लू में भी बदला मौसम का मिजाज
कुल्लू जिला में वीरवार को मौसम का मिजाज बदला। पूरा दिन बादलों के झुंड नजर आए। ठंडी हवाएं भी चलीं। इस बदले मिजाज से अब एक बार फिर जिला के किसान-बागवान बारिश-बर्फबारी की आस लगाए हुए हैं। किसान-बागवानों के अनुसार, यदि अभी बारिश-बर्फबारी होती है तो उससे सेब व फसलों को काफी फायदा पहुंचेगा।
जिला के किसान-बागवान पृथ्वीराज, वासुदेव, हीरा ठाकुर, रोहित डोगरा, रामनाथ, बबलू, शिव चंद, वीर सिंह, हुकम राम आदि का कहना है कि दो दिन से मौसम कुछ ठंडा है। आसमान में बादल छाए हुए हैं और बारिश के आसार हैं। इस समय बारिश व बर्फबारी की जरूरत है। सेब, पलम, अनार के लिए बारिश आवश्यक है। किसान-बागवानों के अनुसार अभी जमीन में पूरी तरह से नमी नहीं है और यदि बारिश होती है तो मिट्टी में नमी आएगी, जिससे फसल अच्छी होगी। इसके अलावा यह समय सेब, पलम सहित अन्य नकदी फसलों में फ्लावरिंग का है और फ्लावरिंग होने से पहले बारिश लाभदायक है। जितनी ज्यादा फ्लावरिंग होगी उतनी अच्छी सेब, पलम, नाशपाती, अनार आदि की पैदावार होगी, जिससे कि बागवानों की आर्थिकी में बढ़ोतरी होगी।
उपनिदेशक उद्यान विभाग जिला कुल्लू डॉ. राजकुमार शर्मा का कहना है कि सेब, नाशपाती, पलम आदि में फ्लावरिंग से पहले बारिश-बर्फबारी बहुत जरूरी है। इससे जहां जमीन में नमी आएगी वहीं सेब आदि नकदी फसलों में पैदावार में बढ़ोतरी होगी।