अल्ट्रावायलेट रेडिएशन तकनीक से शुद्ध बनाया जाएगा पानी
हिमाचल में हुए जल संकट से प्रदेश सरकार ने सबक सीखा है। अब अशुद्ध पानी को शुद्ध किया जाएगा।
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल में हुए जल संकट से प्रदेश सरकार ने सबक सीखा है। अब अशुद्ध पानी को भी शुद्ध बनाया जाएगा और ऐसा अल्ट्रावायलेट रेडिएशन तकनीक से संभव होगा। हिमाचल में इसका पहला प्रयोग शिमला की अश्विनी खड्ड में किया जाएगा। अश्विनी खड्ड में ट्यूबवेल भी स्थापित होंगे। इसके लिए आइपीएच विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है।
करीब ढाई साल पहले अश्विनी खड्ड में पेयजल और सीवरेज की लाइनों में घालमेल हो गया था जहां से शिमला के लिए पानी की सप्लाई होती है। पेयजल दूषित होने से राजधानी में पीलिया फैल गया था। इसने महामारी का रूप धारण कर लिया था। पीलिया से 32 लोगों की मौत हो गई थी। तब पानी की सप्लाई आइपीएच विभाग करता था और वितरण का कार्य नगर निगम के पास था। इस लापरवाही के आरोप में तत्कालीन सरकार ने कई अधिकारियों को चार्जशीट किया था। अब अगर सरकार का नया प्रयोग सफल रहा तो फिर शिमला के लिए करीब दस मिलियन लीटर पर डे (एमएलडी) पानी की सप्लाई बढ़ जाएगी। गिरि व गुम्मा में चेकडैम बनेंगे
गिरि व गुम्मा खड्ड में सरकार चेकडैम का निर्माण करेगी। इसके लिए आइपीएच विभाग पावर कॉरपोरेशन का सहयोग लेगा। वहां के विशेषज्ञों की मदद से एस्टीमेट तैयार करवाए जाएंगे। इससे शिमला के लिए मूल स्रोतों में पानी की मात्रा बढ़ जाएगी। इसके अलावा कौल बांध से पानी गुम्मा खड्ड में डाला जाएगा।
पहले चेकडैम की साइट चयनित करेंगे। इस संबंध में पावर कॉरपोरेशन के विशेषज्ञों की टीम ने मौके का दौरा किया है। जल्द ही अगली औपचारिकताएं भी पूरी की जाएंगी। अश्विनी खड्ड पर अल्ट्रावॉयलेट रेडिशन तकनीक के अलावा ट्यूबवेल लगेंगे। इससे वहां के पानी को पीने योग्य बनाया जाएगा।
देवेश कुमार, सचिव, आइपीएच विभाग