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हिमाचल में जल संकट: मुख्यमंत्री आवास का आधी रात को घेराव, पुलिस ने भांजी लाठियां

सबसे अधिक पेयजल किल्लत शिमला, सोलन, सिरमौर व मंडी जिलों में हैं। लोग आरोप लगा रहे हैं पेयजल का सही वितरण नहीं किया जा रहा है

By Edited By: Published: Mon, 28 May 2018 10:19 PM (IST)Updated: Tue, 29 May 2018 12:00 PM (IST)
हिमाचल में जल संकट: मुख्यमंत्री आवास का आधी रात को घेराव, पुलिस ने भांजी लाठियां
हिमाचल में जल संकट: मुख्यमंत्री आवास का आधी रात को घेराव, पुलिस ने भांजी लाठियां

शिमला, राज्य ब्यूरो।  राजधानी शिमला में पानी की कई दिनों से चल रही किल्लत के कारण लोगों के सब्र का बांध आखिरकार टूट गया। लोगों ने रविवार आधी रात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सरकारी आवास ओकओवर का घेराव किया। घेराव करने पहुंचे करीब 50 लोगों को वहां से खदेड़ने के लिए पुलिस ने उन पर लाठियां भांज दीं। इस संबंध में छोटा शिमला थाना में नगर निगम की कांग्रेस समर्थित पार्षद सुषमा कुठियाला, उनके पति व बेटे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

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यह पहला मौका है जब प्रदेश में पानी को लेकर मुख्यमंत्री के सरकारी आवास का घेराव किया गया। प्रदेश में सभी पेयजल योजनाओं पर सूखे जैसे स्थिति की मार पड़ी है। सर्दियों में पर्याप्त बर्फबारी व बारिश न होने का असर पेयजल स्रोतों पर पड़ा है। प्रदेश के सभी जिलों में पेयजल किल्लत है। हालांकि सबसे अधिक पेयजल किल्लत शिमला, सोलन, सिरमौर व मंडी जिलों में हैं। लोग आरोप लगा रहे हैं पेयजल का सही वितरण नहीं किया जा रहा है। वीआइपी को हर दिन पानी मिल रहा है जबकि लोगों को आठ से दस दिन में भी पानी नसीब नहीं हो रहा है।

अधिकारी और नेता अपने चहेतों को पानी के टैंकरों से पानी की आपूर्ति में जुटे हैं। रविवार रात को घेराव के बाद मुख्यमंत्री ने सोमवार सुबह सचिवालय में विशेष बैठक बुलाई जिसमें स्थानीय विधायक एवं शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज सहित मुख्य सचिव विनीत चौधरी, उपायुक्त, नगर निगम आयुक्त सहित आइपीएच व अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने पानी से संबंधित पूरी रिपोर्ट ली जिसमें बताया गया कि इन दिनों शिमला में 21 से 23 मिलियन लीटर पर डे (एमएलडी) तक पानी मिल रहा है। इसके अलावा प्रदेश के अन्य जिलों की भी पानी की रिपोर्ट ली गई। बैठक में शिमला शहर में जलापूर्ति के मुद्दे की निगरानी के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया। अतिरिक्त मुख्य सचिव शहरी विकास, शिमला के उपायुक्त, विशेष सचिव राजस्व, नगर निगम आयुक्त शिमला, लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता, सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग के प्रमुख अभियंता और मुख्य अभियंता समिति के सदस्य जबकि आइपीएच विभाग के सचिव इसके सदस्य सचिव एवं संयोजक होंगे।

बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को नगर निगम आयुक्त व उपायुक्त के पास पेयजल समस्या को हल करने के लिए बैठक करने भेज दिया। मुख्य सचिव ने अधिकारियों के साथ बैठक कर पेयजल आपूर्ति की रिपोर्ट लेने के साथ सभी को पेयजल उपलब्ध करवाने को कहा है। 

वहीं, शिमला शहर में पानी की कमी का प्रदेश हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मंगलवार को नगर निगम आयुक्त व नगर निगम अभियंता को कोर्ट के समक्ष तलब किया है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन व ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन के वकीलों ने शिमला में पानी के असमान वितरण पर रोषस्वरूप अदालतों का बहिष्कार किया। सोमवार को दिनभर मुख्यमंत्री का अधिकारियों के साथ पानी की कमी को लेकर बैठकों का दौर चलता रहा। अधिकारियों ने भी नगर निगम के पार्षदों व अन्य अफसरों के साथ बैठकें की। सरकार के आदेश के बाद मुख्य सचिव ने सोमवार देर शाम शिमला शहर को तीन जोन में बांटने का फैसला लिया।

शिमला शहर को अब तीन जोन में बांटकर पानी की आपूर्ति की जाएगी। एक जोन में पूरे टैंकर लगा दिए जाएंगे। हर जोन में दस से अधिक वार्ड बांटे गए हैं। ऐसे में दो दिन छोड़कर ही पानी की आपूर्ति हो पाएगी। लोगों को पहले पांचवें से छठे दिन पानी की आपूर्ति हो रही थी। पानी आने की समयसारणी रेडियो पर बताई जाएगी। 

शिमला में तीन जिलों से मंगवाया जा रहा पानी

हिमाचल में पेयजल किल्लत को लेकर सरकार के हाथ खड़े हो गए हैं। सरकार को शिमला में पेयजल संकट दूर करने के लिए तीन जिलों सोलन, सिरमौर व बिलासपुर से पानी के टैंकर मंगवाने पड़ रहे हैं। पानी की किल्लत प्राकृतिक कारण से है। पानी की आपूर्ति में भी खामी होगी। इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है।

पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए गए हैं। पेयजल किल्लत को लेकर ड्यूटी में कोताही बरतने वालों पर ठोस कार्रवाई के आदेश जारी किए गए हैं।

-जयराम ठाकुर, मुख्यमंत्री

50 के करीब लोग पानी के लिए घेराव करने पहुंचे थे

-नगर निगम की पार्षद सुषमा, पति और बेटे के खिलाफ मामला दर्ज

-आठ से दस दिन में भी लोगों को पानी नहीं मिल रहा

-शिमला, सोलन, सिरमौर व मंडी जिलों में सबसे अधिक पेयजल किल्लत

-मुख्यमंत्री ने बुलाई बैठक, पानी से संबंधित पूरी रिपोर्ट ली

-मुख्य सचिव की अध्यक्षता में किया उच्चस्तरीय समिति का गठन

-जयराम ठाकुर ने मुख्य सचिव को नगर निगम आयुक्त व उपायुक्त के पास बैठक करने भेजा

-शिमला में पानी की कमी का प्रदेश हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया

-नगर निगम आयुक्त और नगर अभियंता आज कोर्ट के समक्ष तलब

-हाईकोर्ट ने आज तलब किए नगर निगम आयुक्त व नगर निगम अभियंता

-हाईकोर्ट व ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन के वकीलों ने किया अदालतों का बहिष्कार

-दिनभर चलता रहा बैठकों का दौर, देर शाम निकला नतीजा

3 जोन में बांटा शिमला शहर को

2 दिन छोड़कर होगी पानी की आपूति

सूखने के कगार पर पहुंचे प्राकृतिक जलस्रोत

हिमाचल प्रदेश में जल संकट और गहरा गया है। प्रदेश में प्राकृतिक जलस्रोत सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं। प्रवाह (ग्रेविटी) पेयजल योजनाओं पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है। अब सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य (आइपीएच) विभाग का उठाऊ पेयजल योजनाओं पर ही पूरा दारोमदार है जिनके स्रोत नदी-नालों में हैं। इनमें भी पानी की 30 फीसद से अधिक की गिरावट आई है। प्रदेश में सूखे जैसे हालात से आइपीएच विभाग की 1350 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। एक दिन में 32  नई पेयजल योजनाएं हांफ गई हैं। इनमें से 350 योजनाएं कभी भी बंद हो सकती हैं। प्रदेश में 209 योजनाओं में 20 फीसद से कम पानी की सप्लाई हो रही है।

वहीं, 141 योजनाओं में मुश्किल से 25 फीसद तक पानी की सप्लाई हो रही है। आंशिक तौर पर हजारों पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। पानी के लिए अब विभाग का जोर हैंडपंपों पर है। प्रदेश में जनवरी से अब तक 700 नए हैंडपंप लगाए गए हैं और यह सिलसिला जारी रहेगा। जहां भी जरूरत होगी, वहां हैंडपंप लगाए जाएंगे। 

अब भगवान भरोसे सरकार

प्रदेश सरकार अब भगवान भरोसे है। सरकार इंद्र देवता की ओर टकटकी लगाए बैठी है कि मौसम जल्द मेहरबान होगा। उम्मीद है कि प्री मानसून आएगा जिससे जल संकट दूर हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने विभागीय अधिकारियों को टैंकर लगाने के निर्देश दिए थे लेकिन अभी इनकी रफ्तार काफी कम है। केवल सात टैंकर लगाए गए हैं। इनमें से पांच टैंकर नालागढ़, एक सुन्नी और एक अर्की में लगाया गया है।

अधिकारियों की छुट्टियां भी रद 

आइपीएच विभाग ने भी अधिकारियों की छुट्टियां रद कर दी हैं। ऐसा वन विभाग की तर्ज पर किया गया है। फील्ड स्टाफ के अवकाश पर पहले ही पाबंदी लगाई जा चुकी है। अधिकारियों को स्टाफ के साथ समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं।

सचिवालय में नहीं आइपीएच मंत्री

हिमाचल में सूखे जैसे हालात हैं मगर आइपीएच मंत्री महेंद्र सिंह सचिवालय से नदारद रहे। वह शिमला में नहीं हैं। ऐसे समय में जब लोगों में पानी के लिए हाहाकार है, मंत्री अपने क्षेत्र के दौरे पर हैं। 


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