बारह वर्ष की जांच में न चार्जशीट, न एफआइआर रद
आय से अधिक मामले में बारह वर्षों से विजिलेंस जांच चल रही है।
रमेश सिगटा, शिमला
पूर्व पुलिस कर्मी की आय से अधिक संपत्ति मामले में 12 साल से विजिलेंस जांच चल रही है। आरोपित की कई बार संपत्तियां खंगाली जा चुकी हैं। राजस्व से लेकर कृषि विभाग तक ने इमारतों की नाप-नपाई करवा ली है। बावजूद इसके विजिलेंस न तो एफआइआर रद कर पाई और न ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर सकी है। डीएसपी से लेकर एएसपी तक के अधिकारियों ने मामले की जांच की। इस दौरान जांच एजेंसी के दस से अधिक अधिकारी, निगरानी करने वाले अफसर बदले, पर इस केस में कोई भी प्रगति नहीं हो पाई। अब मामले की जांच इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी को सौंपी गई है। आरोपित को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
उधर, आरोपित पुलिस कल्याण संघ के प्रदेशाध्यक्ष एवं पुलिस कल्याण महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव रमेश चौहान ने जांच एजेंसी को चुनौती दी कि आरोप साबित करके दिखाएं, वह जांच अधिकारी को एक करोड़़ रुपये और एक फ्लैट का ईनाम देंगे। उन्हें पिछले सोमवार को भी पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वह नहीं गए। अब उनसे 25 नवंबर के बाद पूछताछ होगी। आरोप हैं कि उन्होंने पुलिस सेवा में रहते आय से अधिक संपत्ति बनाई। तब से अब तक संपत्ति भी करीब तीन गुना बढ़ गई है।
कर्मचारियों के हित के लिए हमेशा आगे रहे
पुलिस कल्याण संघ के नेता रमेश चौहान अपने कर्मचारियों के हक के लिए बड़े अफसरों से भिड़ जाते हैं। 2010 में जब पुलिस कर्मियों की वर्दी खाकी से नीली की तो उन्होंने इसके खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और केस जीते। हालांकि इसका खामियाजा चौहान को भुगतना पड़ा। उन्हें पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया। उस वक्त वह एएसआइ थे। निचली अदालतों से केस जीत गए, पर सरकार ने फैसले के 240 दिन के बाद ऊपरी अदालत में अपील कर दी।
कब क्या हुआ
- 2008 में शुरू हुई विजिलेंस जांच
- 2009 में मिली क्लीन चिट
-2008 से 2012 तक तीन डीएसपी ने की जांच
- 2012 में विजिलेंस ने दर्ज की एफआइआर
- कई एएसपी ने भी की तफ्तीश
- 2015-16 में सर्च वारंट के सहारे ली घर की तलाशी ------------- रमेश चौहान के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति जुटाने का मामला मेरे वक्त का नहीं है। यह काफी पहले दर्ज हुआ था। आय से अधिक संपत्ति जुटाने के मामलों में पहले ही जांच अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि इनका तेजी के साथ निपटारा करें। आरोपित चौहान के क्या दावे हैं, इसकी जानकारी मुझे नहीं है।
अनुराग गर्ग, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (विजिलेंस) -------------
मेरे पास जो भी संपत्ति है, पूरी तरह से वैध है। बैंकों से लोन लेकर, फ्लैट बेचकर संपत्ति बनाई है। अगर जांच अधिकारी आय से अधिक संपत्ति साबित कर दें तो उसे एक करोड़ और एक फ्लैट ईनाम में दूंगा। मुझ से 100 से ज्यादा बाद पूछताछ हो चुकी है। पुलिस कल्याण संघ का अध्यक्ष बनने की सजा भुगत रहा हूं।
रमेश चौहान, आरोपित एवं अध्यक्ष पुलिस कल्याण संघ