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वन परिक्षेत्रों में मिलेंगे वाहन, वन माफिया पर कसी जाएगी नकेल

प्रदेश में वन माफिया पर नकेल कसने के लिए अब वन परिक्षेत्रों में वाहन उप

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 07:39 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 07:39 PM (IST)
वन परिक्षेत्रों में मिलेंगे वाहन, वन माफिया पर कसी जाएगी नकेल
वन परिक्षेत्रों में मिलेंगे वाहन, वन माफिया पर कसी जाएगी नकेल

राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश में वन माफिया पर नकेल कसने के लिए अब वन परिक्षेत्रों में वाहन उपलब्ध होंगे। प्रदेश में ऐसा पहली बार होगा जब वन परिक्षेत्र स्तर पर वाहनों को उपलब्ध करवाया जा रहा है। वन पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन और आजीविका सुधार समिति की बैठक शिमला में अतिरिक्त मुख्य सचिव वन व समिति के अध्यक्ष आरडी धीमान की अध्यक्षता में हुई। बैठक में परियोजना के तहत 16 वाहन खरीदने की स्वीकृति दी गई। अतिरिक्त मुख्य सचिव वन आरडी धीमान ने कहा कि प्रदेश के जनजातीय जिले लाहुल-स्पीति के स्पीति और किन्नौर जिले में छरमा (सीबकथॉर्न) व चिलगोजा की खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जाएगा।

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जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाईका) की ओर से वित्त पोषित 800 करोड़ रुपये की परियोजना भारत-जापान सहयोग के तहत चलाई जा रही है और इसमें छरमा और चिलगोजा की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। स्पीति में छरमा की नर्सरी को बड़े पैमाने पर विकसित किया जाएगा, जिससे किसान अपने खेतों में इन पौधों की खेती और प्रसार कर सकें। क्षेत्र में छरमा आधारित प्रसंस्करण इकाइयां भी स्थापित की जाएंगी। इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन अरण्यपाल डा. सविता, प्रधान मुख्य वन अरण्यपाल (वन्यजीव) अर्चना शर्मा, मुख्य परियोजना निदेशक व सदस्य सचिव नागेश कुमार गुलेरिया आदि बैठक में उपस्थित रहे।

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वित्तीय सहायता मिलेगी

अतिरिक्त मुख्य सचिव वन व समिति के अध्यक्ष आरडी धीमान ने बताया कि परियोजना के तहत आने वाले क्षेत्रों में आय के स्रोत बढ़ाने के लिए गैर काष्ठ वन उत्पाद आधारित गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए ग्राम वन विकास समितियों, स्वयं सहायता समूहों और सामान्य रुचि समूहों को खेतों में और खेतों के बाहर गतिविधियों को शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इन गतिविधियों में वर्मी कंपोस्टिंग, डेयरी, सब्जी नर्सरी, मुर्गी पालन, मशरूम की खेती, हस्तशिल्प, हथकरघा और पारंपरिक ऊनी कपड़े बनाना, बुनाई और सिलाई शामिल हैं। इसके अलावा पलंबर, मोबाइल फोन मरम्मत, ब्यूटीशियन, चिनाई, इलेक्ट्रीशियन, बढ़ई, आतिथ्य, पर्यटन और बागवानी पौधों की प्रूनिग की गतिविधियों को भी बढ़ावा देने में मदद की जाएगी। जड़ी-बूटी सेल पत्तल बनाने की गतिविधि भी शुरू करेगा। इसके अलावा, चीड़ की पत्तियों को एकत्र करने और इसके ब्रिकेट बनाकर बेचने का कार्य करेगा। सेल ने औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती के लिए पांच मंडल विकसित किए हैं।


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