कंडम गाड़ियों में अधिकारी, मंत्री कर रहे र्फाच्यूनर की सवारी
हिमाचल में सरकार के मंत्री तो नई गाड़ियाें में सफर कर रहे हैं जबकि अधिकारी कंडम गाड़ियों में घूम रहे हैं।
शिमला, अजय बन्याल। प्रदेश सरकार के मंत्री तो नई गाड़िया धड़ल्ले से खरीद रहे हैं, वहीं कई अधिकारी कंडम गाड़ियों में सफर कर रहे हैं। शिमला के उपायुक्त कार्यालय की तीन गाड़िया कंडम हो चुकी हैं। दो महीने पहले उपायुक्त कार्यालय की तरफ से नई इनोवा गाड़ी के लिए प्रदेश सरकार को पत्र लिखा गया था। लेकिन अभी तक कोई भी जवाब प्राप्त नहीं हो पाया है। मजबूरी में अधिकारियों को कंडम गाड़ियों में सफर करना पड़ रहा है। अगर शहर से बाहर दौरा करना हो तो इन गाड़ियों पर पहले हजारों रुपये की रिपेयर पर खर्च करने पड़ते हैं। उसके बाद दौरे पर निकलना पड़ता है।
उपायुक्त कार्यालय में करीब-करीब 14 गाड़ियां हैं। इसमें एक एबेंसडर गाड़ी है जोकि तीन-चार महीनों से कंडम घोषित कर दी गई है। एसी टू डीसी, एडीएम और एसडीएम शहरी के पास भी पुरानी गाड़ियां हैं। हालांकि सरकार को नई गाड़ियां कम दामों पर मिलती हैं, लेकिन वित्त विभाग से नए वाहनों की मंजूरी के फाइल कई-कई महीनों तक लटक ही नहीं पाती है। वहीं मंत्रियों को र्फाच्यूनर तक कुछ महीनों के भीतर खरीद कर दे दी गई थी।
शिमला जिला प्रशासन को इनोवा गाड़ी की अनुमति मिलती है या फिर किसी अन्य की। इसके बारे में फैसला तो सरकार के पत्र के जवाब के बाद ही तय हो पाएगा। पुरानी गाड़ियों की हालत ऐसी हो गई है कि सालाना पांच से छह लाख रुपये मरम्मत पर खर्च हो रहे हैं। हर साल 15 लाख रुपये 14 गाड़ियों के तेल व रखरखाब के लिए मिलते हैं। लेकिन 40 से 50 फीसद बजट मरम्मत में खर्च हो जाता है।
बोलेरो की हालत खस्ता उपायुक्त कार्यालय में तैनात एक अधिकारी की बोलेरो गाड़ी कंडम हो चुकी है। तय किलोमीटर पूरे कर लिए गए हैं। इसके साथ ही सात साल से अधिक अवधि की गाड़ी हो चुकी है। हैरानी तो इस बात की है कि करीब हर दूसरे तीसरे महीने 30 से 40 हजार रुपये मरम्मत पर खर्च हो रहा है। सरकार को पत्र लिखा है। अभी कोई जवाब नहीं आया है। कुछ गाड़ियां काफी खराब हो चुकी हैं।
-अमित कश्यप, उपायुक्त, शिमला।