अब मनरेगा से संवरेंगे खेत
प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में खेत तैयार करने का काम भी मनरेगा के तहत हो सकेगा। इसके लिए शेल्फ मंजूरी की जरूरत भी नहीं है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में खेत तैयार करने का काम भी मनरेगा के तहत होगा। भूमि विकास के काम बेरोजगार ग्रामीण बिना शेल्फ मंजूरी के कर सकेंगे। कोरोना काल में बेरोजगार हुए लोगों को सरकार काम देगी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शनिवार को ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान इसे स्वीकृति प्रदान की।
भूमि विकास कार्य ग्रामसभा द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं की शेल्फ में शामिल न होने पर भी किए जा सकेंगे। इसका सबसे अधिक लाभ उन ग्रामीण युवाओं को मिलेगा जो अन्य जिलों व राज्यों से नौकरी छोड़ अपने घरों को लौटे हैं। इससे उन्हें अपने ही खेत में कार्य करने पर मनरेगा के तहत मजदूरी मिलेगी। इच्छुक ग्रामीण राज मिस्त्रियों को प्रशिक्षित करने की भी योजना बनाई जा रही है। बीते वित्त वर्ष के दौरान 260 लाख कार्य दिवसों का सृजन कर कुल 859 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय की गई। इस वित्त वर्ष में अभी तक मनरेगा के अंतर्गत 54 करोड़ रुपये खर्च करके 22 लाख कार्य दिवस सृजित किए जा चुके हैं। पिछले वित्त वर्ष के दौरान मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 610 भवनों का निर्माण किया गया, जबकि वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान गरीबों की सुविधा के लिए 998 भवनों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मनरेगा कार्य में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सिक्योर सॉफ्टवेयर लागू किया है। भवन और अन्य सन्ननिर्माण कल्याण बोर्ड के अंतर्गत पंजीकृत 12835 मनरेगा कार्यकर्ताओं ने 90 दिन का कार्य पूर्ण किया है। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के अंतर्गत जल शक्ति विभाग को मंडी जिला के थुनाग, धर्मपुर और जंजैहली और ऊना जिला के बंगाणा में पायलट आधार पर मल संयंत्र स्थापित करने के लिए 23.70 करोड़ रुपये, सड़कों के किनारे सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए शिमला, सोलन, सिरमौर और ऊना जिलों के लिए एक-एक करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृत की गई है।
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छह जिलों में जल्द होगी लोकपाल की नियुक्ति
मनरेगा के तहत हुए कार्याें में गुणवत्ता सुधार के लिए गुणवत्ता नियंत्रण प्रकोष्ठ यानी सेल स्थापित किया है। प्रदेश के छह जिलों बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, शिमला और सोलन में लोकपाल नियुक्त किए गए हैं। जल्द ही अन्य जिलों में लोकपाल की नियुक्ति की जाएगी।
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विभिन्न तकनीकी स्वीकृतियों में विलंब रोकने के लिए प्रभावी तंत्र बनाने की आवश्यकता है, ताकि कार्य शीघ्र आरंभ हो सकें। हिमाचल प्रदेश मनरेगा के अंतर्गत 100 दिन की सीमा को 120 दिन तक करने में अग्रणी राज्य रहा है।
-वीरेंद्र कंवर, ग्रामीण विकास और पंचायती राजमंत्री।
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ये कार्य हो सकेंगे
-खेत में डंगे लगाना।
-फलदार या अन्य पौधे लगाना।
-खेत को सीधा करना।
-खेत में पत्थर हैं उन्हें निकालना।
-टैंक का निर्माण।