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अभिभावक नहीं, अब स्कूल ही लगवाएंगे बच्चों के लिए टैक्सी

परिवहन विभाग मुख्यमंत्री की ओर से सभी निजी स्कूलों के प्रधानाचार्यों को यातायात सुरक्षा दिशानिर्देश से संबंधित जानकारी को लेकर पत्र भेजेगा।

By BabitaEdited By: Published: Tue, 17 Apr 2018 09:13 AM (IST)Updated: Tue, 17 Apr 2018 11:56 AM (IST)
अभिभावक नहीं, अब स्कूल ही लगवाएंगे बच्चों के लिए टैक्सी

शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल में निजी स्कूलों से जुड़ी यातायात सुरक्षा को देखते हुए प्रदेश सरकार ने ठोस कदम उठाया है। सोमवार को आयोजित प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में परिवहन विभाग द्वारा बच्चों की सुरक्षा के लिए तैयार यातायात दिशानिर्देश (ट्रांसपोर्टेशन गाइडलाइन) को मंजूरी दे दी गई। इसके मुताबिक अभिभावक अब टैक्सी किराये पर नहीं लेंगे। बच्चों के लिए टैक्सी उपलब्ध करवाने का जिम्मा अब स्कूल प्रबंधन का होगा।

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परिवहन विभाग मुख्यमंत्री की ओर से सभी निजी स्कूलों के प्रधानाचार्यों को यातायात सुरक्षा दिशानिर्देश से संबंधित जानकारी को लेकर पत्र भेजेगा। वहीं, प्रदेश सरकार हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, सांसद अनुराग ठाकुर व अन्यों के खिलाफ चल रहे मामलों को सर्वोच्च न्यायालय से निर्णय आने के बाद ही वापस लेगी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हुई बैठक में स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत स्मार्ट सिटी शिमला के 2906 करोड़ रुपये तथा स्मार्ट सिटी धर्मशाला के 2105 करोड़ रुपये के कार्यों केनिष्पादन के लिए दोनों जगह 50-50 पदों के सृजन तथा इन्हें भरने का निर्णय लिया गया।

ट्रांसपोर्टेशन गाइडलाइन

-स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरे व जीपीएस सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा।

-स्कूल बस में कंडक्टर के साथ महिला अटेंडेंट भी तैनात करनी होगी। अटेंडेंट बच्चों को बस से उतारने व चढ़ाने में मदद करेगी।

-बस में चालक का नाम व लाइसेंस नंबर लिखा होना चाहिए।

-स्कूल बस या स्कूल वैन के चालक को वाहन चलाने का कम से कम पांच वर्ष का अनुभव अनिवार्य।

-स्कूल वाहन के चालक पर पिछले पांच वर्ष के दौरान आपराधिक मामला दर्ज न हो और न यातायात नियमों की अवहेलना का रिकॉर्ड हो।

-सभी स्कूल बसें नई होनी चाहिए। खटारा वाहनों का इस्तेमाल किया तो सख्त कार्रवाई होगी।

-निजी स्कूलों द्वारा संचालित सभी बसों का रंग पीला हो।

-हिमाचल पथ परिवहन निगम की जो बसें स्कूलों में बच्चों को ले जाने व लाने के लिए जा रही हैं, उनके आगे व पीछे बड़े अक्षरों में स्कूल बस लिखा होना चाहिए।

-स्कूल बसें जहां भी खड़ी होंगी, वहां सीसीटीवी कैमरे लगाए जांएगे जिससे चालकों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।

-स्कूल वैन या टैक्सियों में 12 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या सीट से डेढ़ गुणा ही अधिक होगी। इससे अधिक संख्या होने पर वाहन चालक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 12 वर्ष से अधिक आयु के बच्चे वाहन की सीट के मुताबिक ही बैठेंगे।

हर तीन महीने बाद होगी चेकिंग

क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, उपमंडल अधिकारी व पुलिस अधिकारी हर तीन महीने बाद स्कूल बस, वैन और टैक्सियों के चेकिंग करेंगे। स्कूली बच्चों को लाने व ले जाने वाले वाहनों के लिए उपयुक्त परमिट होना चाहिए। सीबीएसई, सर्वोच्च न्यायालय व आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी सभी दिशानिर्देशों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा।

नूरपुर हादसे से सबक

नूरपुर हादसे के बाद निजी स्कूलों की टैक्सियों पर उठ रहे सवालों के बाद सरकार ने अब कैबिनेट में ही निर्देश जारी कर दिए हैं। नूरपुर उपमंडल की ठेहड़ पंचायत में 9 अप्रैल को निजी स्कूल बस के खाई में लुढ़कने से 24 बच्चों समेत 28 लोग मारे गए थे। इस हादसे के बाद ही सरकार ने सख्ती बरतने के संकेत दिए थे, अब सोमवार को कैबिनेट की बैठक में सरकार ने निजी स्कूलों को टैक्सियों के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं।


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