प्रथम श्रेणी अधिकारियों के तबादले के लिए निर्धारित हो कार्यकाल
प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्थानांतरण से जुड़े एक मामले में स्पष्ट किया कि हर वर्ग के लिए तबादला नीति एक सी होनी चाहिए।
जागरण संवाददाता, शिमला : प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्थानांतरण से जुड़े एक मामले में स्पष्ट किया कि तृतीय श्रेणी तक के कर्मियों के लिए एक स्थान पर तीन साल के सामान्य कार्यकाल की नीति बनाई गई है। इसी तर्ज पर प्रथम श्रेणी के अधिकारियों के लिए भी ऐसा ही कार्यकाल निर्धारित होना चाहिए। सिर्फ श्रेणी के आधार पर कर्मियों से भेदभाव नहीं किया जा सकता है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश सूर्यकात व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने रतन चंद द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के बाद पारित किया।
मामले के अनुसार प्रार्थी प्रधानाचार्य को सितंबर 2017 में राजकीय प्राथमिक स्कूल आलमपुर के लिए स्थानातरित किया गया था। इस साल 24 मई को उन्हें राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला आनी के लिए स्थानांतरित किया गया। इसके खिलाफ प्रार्थी ने प्रदेश प्राधिकरण के समक्ष याचिका दाखिल की। प्राधिकरण ने उन्हें शिक्षा सचिव के समक्ष प्रतिवेदन के माध्यम से अपने स्थानांतरण आदेश रद किए जाने या किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर स्थानातरित किए जाने के लिए गुहार लगाने को कहा। शिक्षा सचिव ने प्रार्थी के प्रतिवेदन को यह कहकर खारिज कर दिया कि प्रथम श्रेणी के अधिकारी के लिए स्थानांतरण नीति लागू नहीं होती है। उन्हें थोड़े समय के बाद कहीं भी स्थानांतरित किया जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि गत 19 जुलाई को शिक्षा सचिव ने कानून के मुताबिक सही व स्पष्ट आदेश पारित नहीं किया। हर कर्मी चाहे वह चतुर्थ श्रेणी का हो या प्रथम श्रेणी का, सबके लिए तीन साल का कार्यकाल निर्धारित किया जाना चाहिए, विशेषत: जब उसके स्थानातरण के पीछे कोई प्रशासनिक या लोकहित शामिल न हो। न्यायालय ने पाया कि शिक्षा सचिव ने उनके स्थानातरण के लिए ऐसा कोई कारण नहीं दिया था। न्यायालय ने स्थानातरण आदेश को रद करते हुए शिक्षा सचिव को आदेश दिए कि वह प्रार्थी के मामले को दोबारा देखें व उन्हें किसी खाली स्टेशन पर कागड़ा जिला में या उनके घर के नजदीक स्थानातरित करने के आदेश पारित करें। अगर उन्हें किसी प्रधानाचार्य के खिलाफ स्थानातरित भी किया जाना पड़े तो यह देखा जाए कि उस प्रधानाचार्य का उस जगह पर कार्यकाल पूरा हुआ है या नहीं। अगर उसका कार्यकाल पूरा नहीं हुआ है तो उसे इसके खिलाफ स्थानातरित न किया जाए।