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शिमला में नहीं दौड़ी टैक्सियां, पर्यटक परेशान

शिमला में सोमवार को टैक्सियां नहीं दौड़ी। इससे आम लोग व पर्यटक

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Mar 2021 08:45 PM (IST)Updated: Mon, 22 Mar 2021 08:45 PM (IST)
शिमला में नहीं दौड़ी टैक्सियां, पर्यटक परेशान

जागरण संवाददाता, शिमला : शिमला में सोमवार को टैक्सियां नहीं दौड़ी। इससे आम लोग व पर्यटक परेशान दिखे। टैक्सी यूनियन ने मांगों के समर्थन में संजौली बाइपास से और छोटा शिमला, पुराना बस स्टैंड होते हुए आरटीओ कार्यालय तक रोष रैली निकाली। शिमला से 300 और किन्नौर के 80 ऑपरेटरों ने रैली में भाग लिया। ट्रैक्सी आपरेटरों ने 11 सूत्रीय मांग पत्र परिवहन निदेशक को सौंपा। परिवहन निदेशक ने मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया। जिला देवभूमि टैक्सी ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक चौहान ने कहा कि मांगों पर सरकार व विभाग जल्द कोई राहत प्रदान नहीं करता है तो टैक्सी ऑपरेटर्स एक माह बाद उग्र आंदोलन कर सड़कों पर उतरेंगे और चाबियां आरटीओ को सौंप देंगे।

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यह रही टैक्सी ऑपरेटरों की मुख्य मांगे

टैक्सी ऑपरेटरों ने बताया कि सरकार नेशनल परमिट में चार से नौ सीट तक 25 हजार और नौ से 23 सीट तक 75 हजार रुपये परमिट फीस निर्धारित की है। यह फीस टैक्सी मालिकों के लिए भारी भरकम है। इसलिए उचित दर प्रति सीट निर्धारित की जाए। टैक्सियों की इंश्योरेंस का निम्न स्तर पर लाया जाए। टैक्सी गाड़ियों का 01 नेशन परमिट मौजूदा समय में नौ साल है उसे बढ़ाकर 15 साल किया जाए। इसके अलावा ओला उबर कंपनियों को प्रदेश को प्रतिबंधित किया जाए। चालान राशि को कम किया जाए। पंजीकृत यूनियनों को सरकारी टैंडर प्रकिया में शामिल कर ठेकेदारी प्रथा बंद की जाए।

ऑकलैंड टनल के पास रोकी गई टैक्सियां

शिमला के ऑकलैंड टनल के समीप सड़क पर सवारियों को लेकर जा रही टैक्सियां रोकी गईं। प्रदेशभर में टैक्सी ऑपरेटरर्स की हड़ताल के चलते यूनियन के सदस्यों ने सड़क पर चल रही टैक्सियों को रोका। उनका कहना था कि टैक्सी यूनियन के हितों के लिए हड़ताल की जा रही है।

वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी

कोलकाता से परिवार के साथ घूमने आए शुभोजीत का कहना है कि वह रविवार देर रात शिमला पहुंचे और सोमवार से कुफरी, नालदेहरा घूमने का प्लान था। टैक्सियां न चलने से आवाजाही करने में परेशानी आ रही है। स्थानीय प्रशासन को वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए। टैक्सियों के माध्यम से स्कूल पहुंचने वाले छात्रों को बसों का सहारा लेना पड़ा। पर्यटक नजदीकी पर्यटन स्थलों तक जाने के लिए टैक्सियों का प्रबंध करने में परेशान रहे।


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