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पर्यटन को आज भी पंखों का इंतजार

पर्यटन को पंखों का इंतजार आज भी है। प्रदेश में चुनावों के दौरान और सत्ता में आने के बाद सरकारों ने पर्यटन को विकसित करने के लिए बड़ी बड़ी घोषणाएं जरूर की लेकिन यह घोषणाएं कागजों से बाहर नहीं निकल पाई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 08:45 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 08:45 PM (IST)
पर्यटन को आज भी पंखों का इंतजार

रविंद्र शर्मा, शिमला

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हिमाचल के पर्यटन में विकास लगने के लिए पंखों का इंतजार आज भी है। प्रदेश में कोई भी चुनाव हो तो सत्ता में आने के लिए सभी दल पर्यटन को विकसित करने के लिए कई घोषणाएं करते हैं, लेकिन वह धरातल पर नहीं उतर पाती हैं। हालात ऐसे हैं कि राजधानी शिमला में ही पर्यटक दो दिन से अधिक नहीं रुक रहा है। यही कारण है पर्यटन विकास में हिमाचल लगातार पिछड़ता जा रहा है। सरकारें इन कारणों को भली प्रकार से जानती भी हैं, लेकिन टूरिज्म पर कभी फोकस नहीं हो पाया है। वर्तमान सरकार ने पर्यटन विकास पर गंभीरता दिखाई है और बजट में इसे विशेष तौर पर इंगित भी किया है।

हिमाचल में पर्यटन गतिविधियों के लिए अपार संभावनाएं हैं, जिनकी ओर ध्यान देने की जरूरत है। विडंबना यह है कि प्रदेश में पर्यटन आकर्षण के लिए बड़े स्थल विकसित नहीं हो पाए हैं, जो सबसे बड़ी बाधा है। वहीं जो स्थान हैं भी, वहां पर सुविधाओं का टोटा है। पर्यटन सेक्टर के लिए जरूरी रेल व हवाई नेटवर्क भी नहीं है। परिणामस्वरूप इस दिशा में प्रदेश वह मुकाम हासिल नहीं कर पाया है कि प्राकृतिक सुंदरता का पूरा दोहन कर सके। पर्यटन के क्षेत्र में केवल 5.59 फीसद रोजगार

सरकारी आंकड़ों में पर्यटन की आमदनी और रोजगार की बात करें तो हिमाचल प्रदेश अपने सकल राज्य घरेलू उत्पाद में पर्यटन से 7.82 फीसद हासिल कर रहा है, जबकि इस क्षेत्र से 5.59 फीसद ही रोजगार मिल पा रहा है। राज्य के मुख्य मार्गो को छोड़कर अंदरुनी क्षेत्रों की सड़कों पर पर्यटक नहीं पहुंचते हैं। वजह यह है कि इन सड़कों की स्थिति बेहतर नहीं है। यहां पर टैक्सी सेवा की व्यवस्था जरूर है परंतु बेहतर वाहन सेवा उपलब्ध नहीं है। प्रदेश में छोटे वाहनों का चलन अधिक है, जिसे बाहर के पर्यटक उतना पसंद नहीं करते। राजधानी में पानी की बड़ी समस्या

पर्यटन पर पानी का भी काफी असर रहता है। पिछले वर्ष राजधानी शिमला में पानी की किल्लत से पर्यटकों की आमद काफी कम हो गई थी। शहर में पानी की गंभीर समस्या के कारण कई होटलों में पर्यटकों को बाहर भी निकाल दिया था। हजारों की बुकिग तक रद कर दी गई थी। पर्यटन से रोजगार की स्थिति

आवास इकाइयां,21328

-ट्रैवल एंड टूअर इकाइयां, 7127

-रेस्तरां,3934

- सोविनियर शॉप्स में 266 धरोहरों को सहेजने की नहीं हो पाई पहल

प्रदेश की लोक संस्कृति भी पर्यटकों को आकर्षित करती है, लेकिन इस धरोहर से पर्यटन को सहेजने की कसरत आज तक नहीं हो सकी। राज्य का भाषा एवं संस्कृति विभाग इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए बहुत कुछ कर सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। शिमला स्थित गेयटी थियेटर में कुछ आयोजन इस विभाग के माध्यम से होते हैं, लेकिन लोक संस्कृति की झलक पाने के लिए पर्यटकों को थियेटर तक ले जाने के सकारात्मक प्रयास नहीं हो पाते। ईको टूरिज्म का सपना अधूरा

ईको टूरिज्म की बड़ी योजनाएं अभी तक शुरू नहीं हो सकी हैं। मनोरंजन पार्क के कई बार ऐलान हुए। वर्ष 1977 से इसकी तैयारियां चल रही हैं, मगर यह सिरे नहीं चढ़ पाया है। साहसिक पर्यटन को दिशा देने के लिए हिमाचल ने जरूर बीड़-बिलिग को चुना है। कुल्लू-मनाली, बिलासपुर में भी ऐसे बड़े आयोजनों की जरूरत है। यह क्षेत्र अभी भी ऐसे आयोजनों के लिए तरस रहे हैं, जबकि इनमें पर्याप्त संभावनाएं मौजूद हैं। इसके अलावा शिमला जिला के अंदरूनी क्षेत्रों तक भी पर्यटक नहीं पहुंच पाते हैं। शिमला में शहर के अलावा कुफरी, नारकंडा व नालदेहरा कुछ पर्यटक स्थल हैं जहां पर घोड़ों की सवारी पर्यटकों को पसंद आती है। लेकिन सफाई व्यवस्था बदतर होने के कारण जो एक बार यहां जाता है, वह दूसरी दफा जाने की नहीं सोचता। इसी तरह से सोलन व सिरमौर में पर्यटक सर्किट विकसित करने पर कोई काम नहीं हो सका है। - पर्यटकों को शिमला में रोक पाएं, अभी ऐसा कुछ नहीं हुआ है। रही-सही कसर सीजन समय में टैक्सी वाले मनमाने दाम वसूलकर पूरा कर देते हैं। प्रशासन को टैक्सी चालकों की मनमानी पर लगाम लगानी चाहिए। पर्यटन स्थलों को विकसित किया जाए, ताकि पर्यटक यहां कुछ दिन तक रुकें।

-वंदना, होटलियर स्मार्ट एसएस। -------

रोप वे को धरातल पर उतारने के लिए अलग से निगम बनाया गया है। 1892 करोड़ का टूरिज्म का प्रोजेक्ट मंजूर हो गया है अब उसकी रूपरेखा तैयार की जा रही है। इसके अलावा जंजैहली, बीड बिलिग और चांसल को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा रहा है।

जयराम ठाकुर, मुख्यमंत्री। ---------

प्रदेश की उस सरकार से पर्यटन विकास की उम्मीद क्या की जाए, जिसने पानी मुहैया करवाने की बजाय पर्यटकों को न आने की अपील की हो। भाजपा सरकार ने पर्यटन को बढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया है। यह केवल कागजों में ही योजनाएं ला रहे हैं। धरातल पर कुछ नहीं हो रहा है।

-वीरभद्र सिंह पूर्व मुख्यमंत्री।


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