स्वाइन फ्लू से बचाव का ये है तरीका, जानिये किन लोगों को घेर रहा है ये मर्ज
गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों और बुजुर्ग लोग इस बीमारी की चपेट में आसानी से आ जाते हैं क्योंकि इन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। प्रदेश की हवा में स्वाइन फ्लू का वायरस भी तैर रहा है, लेकिन इसकी चपेट में वही लोग आ रहे हैं जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है। स्वाइन फ्लू (एच1 एन1 वायरस) से कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को अधिक खतरा रहता है। ऐसे में लोगों को रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने की जरूरत है। प्रदेश में इस साल स्वाइन फ्लू की चपेट में आने वालों का आंकड़ा 63 पहुंच गया है, जबकि 29 दिन के दौरान इससे नौ लोगों की मौत हो चुकी है।
स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों की मानें तो गर्भवती महिलाओं, दो साल से कम आयु के शिशु, 65 साल से अधिक आयु के बुजुर्ग और जो लोग किसी बीमारी से काफी लंबे समय से जूझ रहे हैं, उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ऐसे में इन लोगों को स्वाइन फ्लू होेने का सबसे अधिक खतरा रहता है।
कैसे बढ़ाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर डॉ. सोनम नेगी ने बताया कि कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को स्वाइन फ्लू होेने का अधिक खतरा है। इन लोगों को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हरी व ताजी सब्जियां और फल खाने चाहिए। ताजा भोजन करें और समय पर खाएं, नींद पूरी लेनी चाहिए। गर्भवती महिला, 65 साल से अधिक आयु के बुजुर्ग, दो साल से कम शिशुओं और शूगर सहित अन्य
क्रॉनिकल बीमारी से ग्रस्त मरीजों को केवल सावधानी बरतने पर ही स्वाइन स्वाइन फ्लू से बचाया जा सकता है। उन्हें भीड़भाड़ वाले इलाकों में नहीं जाना चाहिए। स्वाइन फ्लू से ग्रसित मरीज के पास बिलकुल न जाएं। हाथों को बेहतर ढंग से साफ करने के बाद ही भोजन करना चाहिए।
सभी मरीजों को नहीं दी जाती टेमी फ्लू
टेमी फ्लू दवा स्वाइन फ्लू के सभी मरीजों को नहीं दी जाती है। स्वाइन फ्लू रोग से उपचार के तार सीधे प्रतिरोधक क्षमता से जुड़े हैं। ऐसे में सामान्य स्वाइन फ्लू के मरीजों का पेरासिटामोल और एंटीबायोटिक दवा से भी उपचार हो जाता है। टेमी फ्लू दवा स्वाइन फ्लू के गंभीर मरीजों या उन्हें दी जाती है जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो और उन्होंने स्वाइन फ्लू से ग्रसित मरीज को छुआ हो।
स्वाइन फ्लू से निपटने में विभाग सक्षम
स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग प्रदेश में स्वाइन फ्लू के मामलों से निपटने
के लिए पूरी तरह से सक्षम है। प्रदेश के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में एंटी वायरल दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति उपलब्ध कराई गई है। आइजीएमसी, टांडा और केंद्रीय अनुसंधान संस्थान कसौली में स्वाइन फ्लू के लिए परीक्षण सुविधाएं उपलब्ध हैं।
स्वास्थ्य विभाग स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए प्रदेशभर में लोगों को जागरूक कर रहा है। इससे बचने के लिए लोगों को एहतियात बरतने की जरूरत होती है। इसके अलावा स्वाइन फ्लू वायरस को देखते हुए सभी अस्पतालों में दवा उपलब्ध करवा दी गई है।
-डॉ. अजय कुमार गुप्ता, निदेशक स्वास्थ्य विभाग।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
- नाक का लगातार बहना, छींकें आना।
- कफ, लगातार खांसी व ठंड लगना।
- मांसपेशियों में दर्द या अकड़न।
- सिर में तेज दर्द।
- नींद न आना, ज्यादा थकान।
- दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढ़ना।
- गले में खराश का लगातार बढ़ना।
कैसे करें बचाव
- भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में न जाएं।
- दवा खाने के बाद भी बुखार न जाए तो तुरंत अस्पताल जाएं।
- मरीज से कम से कम तीन फीट की दूरी बनाएं।
- स्वाइन फ्लू से पीड़ित मरीज जिस चीज को इस्तेमाल करे, उसे न छुएं।
- घर स्वच्छ रखें
- खान-पान और रहन-सहन का खासतौर पर ध्यान रखें, गरिष्ठ भोजन से परहेज करें।
- साफ-सुथरे रूमाल का उपयोग करें, टिश्यू को इस्तेमाल करने के बाद तुरंत कूड़ेदान में फेंकें।
- अपने हाथों को लगतार साबुन या सेनीटाइजर से हमेशा साफ रखें।
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- घर के दरवाजों के हेंडल, कीबोर्ड, मेज आदि साफ करते रहे।
- बुखार हो तो लगातार पानी पीते रहे ताकि डिहाइड्रेशन ना हो।
- कोशिश करें की स्वाइन फ्लू प्रभावित जगह में जाने से पहले फेसमास्क पहन लें।
- भरपूर नींद लें और डॉक्टर के निरंतर संपर्क में रहें।
- चेहरे पर बार-बार बिना वजह हाथ न लगाए।
- धूप में बैठे।
ऐसे फैलता है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू एक प्रकार का संक्रामक रोग है जो मुख्य रूप से दो तरह से फैलता है। पहला, रोगी को छूने, हाथ-मिलाने या सीधे संपर्क में आने से। दूसरा, रोगी की सांस के जरिए जिसे ड्रॉपलेट इंफेक्शन भी कहा जाता है। यह वाइरस पीड़ित व्यक्ति के छींकने, खांसने, हाथ मिलाने और गले मिलने से फैलते हैं। वहीं स्वाइन फ्लू का वाइरस स्टील प्लास्टिक में 24 से 48 घंटों तक, कपड़ों में 8 से 12 घंटों तक, टिश्यू पेपर में 15 मिनट तक और हाथों में 30 मिनट तक सक्रिय रहता है।
जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जमीन पर या जिस भी सतह पर थूक या मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट में आ जाता है। यह कण हवा के द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं। मसलन, दरवाजे, फोन, कीबोर्ड या रिमोट कंट्रोल के जरिए भी यह वायरस फैल सकते हैं, अगर इन चीजों का इस्तेमाल किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया हो।