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पहाड़ पर कचरा, जमीन पर दावे; रोजाना निकल रहा 30 टन प्‍लास्टिक कचरा

Plastic Hatao pahad bachao प्रदेश में रोजाना करीब 30 टन प्लास्टिक कचरा निकल रहा है। प्रदेश के शहर सालभर में करीब दस हजार टन प्लास्टिक कचरा उगल रहे हैं।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 12:00 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 12:08 PM (IST)
पहाड़ पर कचरा, जमीन पर दावे; रोजाना निकल रहा 30 टन प्‍लास्टिक कचरा
पहाड़ पर कचरा, जमीन पर दावे; रोजाना निकल रहा 30 टन प्‍लास्टिक कचरा

शिमला, रविंद्र शर्मा। पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकारें कई दावे करती हैं। लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाने के अलावा पर्यावरण दिवस पर कई कार्यक्रम होते हैं। इसके बावजूद हिमाचल में आलम यह है कि पहाड़ पर कचरा है और तमाम दावे जमीन पर हैं। प्रदेश में रोजाना करीब 30 टन प्लास्टिक कचरा निकल रहा है। प्रदेश के शहर सालभर में करीब दस हजार टन प्लास्टिक कचरा उगल रहे हैं। इसमें से केवल 1460 टन कचरे का निष्पादन किया जा रहा है। रोजाना करीब चार टन कचरे का सुरक्षित निष्पादन हो पा रहा है। बाकी का प्लास्टिक कचरा प्रदेश के पर्यावरण को दूषित कर रहा है।

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प्रदेश में रोज निकलने वाले प्लास्टिक कचरे में से करीब 60 फीसद प्लास्टिक कचरा पैकिंग का है। प्रदेश के पर्यटन स्थलों पर सबसे अधिक प्लास्टिक कचरा है। हैरत यह है कि सरकार के नुमाइंदे ही पर्यावरण संरक्षण के लिए गंभीर नहीं हैं। हिमाचल सरकार ने प्रदेश में पॉलीथीन के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया था। पॉलीथीन प्रयोग करने वालों पर कार्रवाई व चालान करने की शक्ति 10 विभागों को दी गई थी। लेकिन कुछ विभागों को छोड़कर अन्य विभागों के अधिकारियों ने न तो पॉलीथीन बैग का प्रयोग करने से लोगों को रोका और न ही कार्रवाई की। इसका खुलासा प्रदेश में पिछले 11 वर्षों के दौरान पॉलीथीन प्रयोग पर किए चालान के आंकड़े से होता है।जागरण संवाददाता, शिमला : दैनिक जागरण का विशेष अभियान ‘प्लास्टिक हटाओ, पहाड़ बचाओ’ टुटू में क्रिसेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल से शुरू हुआ। इस दौरान बच्चों ने स्कूल के आसपास करीब एक घंटे तक सफाई की। इस दौरान पांच क्विंटल कचरा इकट्ठा किया गया। स्कूल के संचालक सुभाष शर्मा ने बताया कि प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए सभी को आगे आना होगा। ये पदार्थ न तो गलता है और न ही नष्ट होता है।

प्रिंसिपल सुमन शर्मा ने कहा कि विद्यार्थियों को स्वच्छता को लेकर जागरूक किया जाता है। प्रिंसिपल सुमन शर्मा का कहना था कि प्लास्टिक कचरे के खिलाफ सबको जागरूक होना होगा। इसके लिए प्रदेश के हर व्यक्ति को शपथ लेनी होगी कि प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें। तभी प्लास्टिक हिमाचल से पूरी तरह खत्म हो सकता है। सरकार को भी इस ओर ध्यान देना होगा कि हिमाचल से अन्य राज्यों से आने वाली वस्तुएं प्लास्टिक में पैक होकर न आएं। इस मौके पर टुटू के पार्षद अधिवक्ता विवेक शर्मा भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें जागरूक होना होगा।

ईंधन के तौर पर इस्तेमाल होगा प्लास्टिक कचरा

प्लास्टिक कचरे से सड़क बनाने की योजना तैयार की गई है। इसके अलावा जो प्लास्टिक कचरा बच जाएगा, उसे सीमेंट उद्योगों में ईंधन के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाएगा। जो प्लास्टिक रिसाइकल के लायक होगा, उसे रिसाइकल प्लांट में भेजा जाएगा। -डॉ. सुरेश अत्री, प्रधान वैज्ञानिक अधिकारी, पर्यावरण विभाग

प्लास्टिक प्रयोग से बनेगी सात किलोमीटर सड़क

पर्यावरण विज्ञान एवं तकनीकी विभाग के अनुसार चिप्स, टॉफी सहित अन्य प्लास्टिक पैकिंग सामग्री को सड़क निर्माण में प्रयोग किया जाएगा। ऐसी सामग्री से शोघी के निकट सात किलोमीटर सड़क बनाई जाएगी।

सड़क निर्माण में प्रयोग होंगे टॉफी व चिप्स के रैपर

हिमाचल में अब टॉफी व चिप्स के रैपर आदि सड़क पर नहीं बल्कि सड़क में होंगे। केंद्रीय सड़क शोध संस्थान (सीआरआरआइ) के साथ मिलकर राज्य पर्यावरण विभाग चिप्स, टॉफी, बिस्कुट, दूध सहित पॉलीथीन के अन्य पैकिंग सामग्री से सड़क बनाने का काम दोबारा शुरू करेगा। अभी तक केवल 60 माइक्रोन तक के पॉलीथीन से सड़क बनाने की कवायद शुरू हुई थी जो बीच रास्ते में दम तोड़ गई। लेकिन अब सीआरआरआइ ने शून्य माइक्रोन तक के पॉलीथीन को सड़क निर्माण में प्रयोग करने का दावा किया है।


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