वादाखिलाफी पर भड़के जल रक्षक
बजट घोषणाओं से प्रदेश सरकार से जहां कई वर्ग गदगद हैं , वहीं कईयों को निराशा भी हाथ लगी है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : बजट घोषणाओं से प्रदेश सरकार से कई कर्मचारी वर्ग गदगद हैं, वहीं कई को निराशा भी हाथ लगी है। जल रक्षकों को उम्मीद थी कि सरकार उन्हें नियमितीकरण का तोहफा देगी। नियमित तो दूर उनके लिए 900 रुपये की मानदेय में बढ़ोतरी की गई है। उनका मानदेय 2100 से 3000 अब रुपये हो गया है। इससे 6200 जल रक्षकों को निराशा हाथ लगी है। ऐसे में अब वे सड़क पर उतरने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। पूर्व कांग्रेस सरकार ने उन्हें 12 साल के सेवाकाल के बाद नियमित करने की व्यवस्था की थी। इस बारे में नीति तैयार की थी। सत्ता बदलाव के कारण इस पर अमल नहीं हो पाया था। मौजूदा सरकार ने पिछले बजट में भी उनका मानदेय बढ़ाया था। कुछ महीने पूर्व जल रक्षकों ने शिमला में राज्यस्तरीय समारोह आयोजित किया था। इसमें मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, ¨सचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री महेंद्र ¨सह ठाकुर भी मौजूद रहे थे। मंत्री ने तब जल रक्षकों को नियमित होने का आश्वासन दिया था। बजट में काई घोषणा न होने के बाद जल रक्षक अपने इस्तीफे सरकार को सौंप सकते हैं। आइपीएच मंत्री से जताई नाराजगी
जल रक्षकों ने विभाग के मंत्री से नाराजगी जगाई है। उनका कहना है कि उनके साथ वादाखिलाफी की गई है। मंत्री ने ठेकेदारों के माध्यम से चलाई जा रही योजनाओं के लिए पूर्व सरकार की कड़ी आलोचना की थी। कुछ समय बाद ही सरकार ने सैकड़ों योजनाओं को आउटसोर्स करने का फैसला लिया, जबकि पहले इसका कड़ा विरोध किया था।
बजट की घोषणा से हम आहत हैं। अगर सरकार ने अभी भी नियमित नहीं किया तो हम इस्तीफा दे सकते हैं। सड़क पर उतरने की रणनीति तो बनाएंगे ही। अगर ऐसा हुआ तो चुनाव में सत्ताधारी दल को दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। बिना लाभ के जल रक्षकों को संगठित रखना संभव नहीं है। उम्मीद है कि मुख्यमंत्री हमारे हितों का ख्याल करेंगे।
बली राम शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष, जल रक्षक संघ