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ठंडे रेगिस्तान में वन्य जीवों को साहसिक पर्यटन से जोड़ की जाएगी कमाई

स्पीति में हिम तेंदुआ खोज अभियान के तहत दुर्लभ वन्य जीव की एक झलक पाने के लिए देश-विदेश से सैलानी पहुंच रहे हैं।स्पीति घाटी में वन्य जीवों को साहसिक पर्यटन से जोड़ने के कारण युवाओं ने इसे कमाई का जरिया बनाया है।

By Edited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 09:11 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 09:11 PM (IST)
ठंडे रेगिस्तान में वन्य जीवों को साहसिक पर्यटन से जोड़ की जाएगी कमाई

शिमला, राज्य ब्यूरो। विदेशी पर्यटकों के लिए देश की सुदूरवर्ती लाहुल-स्पीति घाटी पसंदीदा स्थल बन चुकी है। स्पीति में हिम तेंदुआ खोज अभियान (स्नो लेपर्ड एक्सपेडीशन) के तहत विश्व के इस दुर्लभ मायावी वन्य जीव की एक झलक पाने के लिए देश-विदेश से सैलानी पहुंच रहे हैं। प्रदेश के जनजातीय जिले की स्पीति घाटी में वन्य जीवों को साहसिक पर्यटन से जोड़ने के कारण युवाओं ने इसे कमाई का जरिया बनाया है।

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विदेशी सैलानियों के पहुंचने से न सिर्फ स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल रहा है, बल्कि वे नशे जैसी बुरी लत भी छोड़ने लगे हैं। अभियान के चलते होम स्टे का कारोबार भी निकल पड़ा है। हिम तेंदुआ स्पीति घाटी के किब्बर अरण्य के साथ पिन वैली नेशनल पार्क में भी देखा जाता है। प्रदेश में हिम तेंदओं की वास्तविक संख्या का कोई प्रमाण नहीं है, मगर निजी शोधकर्ताओं का दावा है कि प्रदेश में इनकी संख्या 67 है।

अकेले किब्बर अरण्य में इनकी संख्या 35 बताई जाती है। हिम तेंदुए को मायावी प्राणी कहा जाता है। इसकी वजह इसका लोगों के सामने न आना माना जाता है। यह दिखाई भी मुश्किल से देता है। उत्तराखंड की नंदा देवी की पहाड़ियों में सालों पहले यह अभियान शुरू किया जा चुका है। एक वर्ष पहले से हिमाचल में भी इसे बड़े पैमाने पर शुरू किया गया है। प्रदेश सरकार ने अभियान को कामयाब बनाने के लिए पांच करोड़ की रकम मंजूरी की है। साथ ही हिम तेंदुओं की गणना के मकसद से केंद्र सरकार ने भी 5.15 करोड़ का प्रोजेक्ट मंजूर किया है।

किब्बर में स्थापित होगा स्नो लैपर्ड रिसर्च सेंटर

 डॉ. मार्कंडेय लाहुल-स्पीति के विधायक एवं कृषि मंत्री डॉ. रामलाल मार्कंडेय का कहना है कि हिम तेंदुआ गणना योजना के तहत किब्बर में स्नो लैपर्ड रिसर्च सेंटर भी स्थापित होगा। इसके साथ ही इनकी टै¨गग की भी योजना है। सैलानियों को हिम तेंदुआ देखने को मिले, इस मकसद से प्रयास किए जा रहे हैं। छह बर्फानी तेंदुओं को स्पीति घाटी की बर्फीली रेंज में रेडियो कॉलर लगाने की अनुमति मिली है। इससे बर्फानी तेंदुओं के सटीक आंकड़े जुटाने और इनके संरक्षण के लिए योजनाएं तैयार करने में मदद मिलेगी। लाहुल-स्पीति की बर्फीली घाटियों में ट्रैप कैमरा और बर्फीले तेंदुए को लगे रेडियो कॉलर का आपस में संपर्क बना रहेगा। यह अभियान जनवरी से मार्च माह तक चलता है। हिम तेंदुआ खोज अभियान के तहत बीते साल किब्बर में एक करोड़ से अधिक का कारोबार सैलानियों के पहुंचने से हुआ। घाटी में ब्राउन बीयर व हिमालयन थार को लेकर भी इसी तरह का अभियान चलाने की योजना है।


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