मंत्री बनने से पहले स्कॉर्पियो, अब फार्च्यूनर!
शौक का कोई मोल नहीं होता..फिर 32 लाख क्या चीज हैं। 48000 करोड़ के कर्ज वाले हिमाचल प्रदेश में मंत्रियों के शौक मोदी सरकार के मंत्रियों से भी आगे हैं।
प्रकाश भारद्वाज, शिमला: शौक का कोई मोल नहीं होता..फिर 32 लाख क्या चीज हैं। 48000 करोड़ के कर्ज वाले हिमाचल प्रदेश में जब कुछ जनप्रतिनिधि इस बार चुन कर आए तो उससे पहले विधानसभा से कर्ज लेकर 10 से 15 लाख रुपये की कारें खरीदी थीं। किसी के पास वैगन आर तो किसी के पास स्कॉर्पियो थी.. लेकिन मंत्री बनते ही प्राथमिकता बदल गई। दीगर है कि किफायत बरतने के प्रयास सिर्फ भाषणों में हो रहे हैं। मंत्रियों की सुविधाएं बरकरार हैं। फार्च्यूनर की सवारी के लिए मंत्री सरकार पर दबाब डाल रहे थे। अब प्रदेश मंत्रिमंडल ने मंत्रियों के लिए छह फार्च्यूनर खरीदने की मंजूरी प्रदान कर दी है। कुछ दिनों के भीतर छह मंत्रियों को आरामदायक स्पोर्ट्स फार्च्यूनर कारें मिल जाएंगी।
मंत्रियों के पास थे सस्ते वाहन
जिन छह मंत्रियों के लिए फार्च्यूनर कारें खरीदी जा रही हैं, उनके पास सस्ते वाहन होते थे। मंत्रियों के पास एक दशक पहले से वाहन हैं। जो विधायक पांच वर्ष पहले चुनकर आए थे, उन्होंने भी कर्ज लेकर वाहन खरीदे थे। वैगन आर का मूल्य पहले पांच लाख रुपये था। पुराने मॉडल की स्कॉर्पियो 12 लाख रुपये की होती थी। महेंद्रा कंपनी की ही एक्सयूवी-500 अब करीब 13 लाख की है।
हर विधायक को 50 लाख रुपये कर्ज
विधानसभा सचिवालय हर विधायक को 50 लाख रुपये कर्ज देता है। इससे विधायक चाहें तो वाहन खरीद लें या मकान का निर्माण करें। एक बार विधायक बनने वाले नेता को चार प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज प्राप्त करने की सुविधा है।
इन्हें चुकाना है कर्ज
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज और शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी ने विधानसभा से वाहन खरीदने के लिए कर्ज लिया है। तय मासिक दर के तहत दोनों मंत्री कर्ज का भुगतान कर रहे हैं। सुरेश भारद्वाज के पास वैगन आर जबकि सरवीण चौधरी के पास एक्सयूवी-500 है।
इन्होंने चुका दिया कर्ज
स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. राजीव सैजल और कृषि मंत्री डॉ. रामलाल मार्कंडेय ने भी कर्ज लेकर वाहन खरीदा था। चारों मंत्रियों के पास स्कॉर्पियो थी। इन्होंने कर्ज का भुगतान कर दिया है।