विश्व धरोहर ट्रैक पर दौड़ा 112 साल पुराना भाप इंजन
कालका-शिमला ट्रैक पर भाप इंजन 1906 में अंग्रेजों ने चलाया था। यह 1971 तक ट्रैक पर दौड़ता रहा। 1971 में सर्विस करने के बाद इसे ट्रैक पर चलाना बंद कर दिया गया।
जागरण संवाददाता, शिमला। विश्व धरोहर कालका-शिमला रेलवे टै्रक पर बुधवार को फिर छुक-छुक और सीटी की आवाज सुनाई दी। करीब छह माह बाद इस ट्रैक पर शिमला रेलवे स्टेशन से कैथलीघाट तक 112 साल पुराना भाप इंजन चलाया गया। इसे इंग्लैंड के 22 पर्यटकों ने 1.20 लाख रुपये में बुक करवाया था। बुधवार सुबह 9:30 बजे भाप इंजन को रेलवे स्टेशन शिमला से हरी झंडी दिखाई गई। 22 किलोमीटर की दूरी तय कर यह इंजन कैथलीघाट रेलवे स्टेशन पर पहुंचा। इस दौरान कई जगह भाप इंजन को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी थी। शाम को भाप इंजन को वापस रेलवे स्टेशन शिमला लाया गया। इसके साथ दो बोगियां लगाई गई थी।
1906 में पहली बार चला था भाप इंजन
कालका-शिमला ट्रैक पर भाप इंजन 1906 में अंग्रेजों ने चलाया था। यह 1971 तक ट्रैक पर दौड़ता रहा। 1971 में सर्विस करने के बाद इसे ट्रैक पर चलाना बंद कर दिया गया। 2001 में भाप इंजन की मरम्मत करवाई गई। यह इंजन रेलवे स्टेशन शिमला में खड़ा रहता है। अब इसे पर्यटकों द्वारा बुक किए जाने पर ही चलाया जाता है। 520 केसी नामक यह भाप इंजन नार्थ ब्रिटिश लोकोमोटिव कंपनी इंग्लैंड ने बनाया था।
यादगार बन गया सफर
इंग्लैंड के मैरिन, विलोम, दावन, एडवर्ड, जैमस समेत 22 पर्यटकों ने बुधवार को भाप इंजन के साथ जोड़ी गई दो बोगियों में शिमला से कैथलीघाट तक सफर किया। उन्होंने अपनी इस यात्रा को यादगार बनाया। उनका कहना था कि यह सफर एतिहासिक था। यह हमेशा याद रहेगा।
पर्यटकों की मांग पर भाप इंजन चलाया गया था। पर्यटक जब भी मांग करते हैं तो इस इंजन को शिमला से कैथलीघाट तक चलाया जाता है। विदेशी पर्यटक खासकर इस इंजन की बुकिंग करते हैं।
-प्रिंस सेठी, स्टेशन मास्टर।