सामूहिक प्रयास से होगा नशामुक्त समाज
हिमाचल के मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश ने कहा कि समाज को नशा मुक्त बनाने के लिए सभी का सहयोग चाहिए
जागरण संवाददाता, शिमला : हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने विभिन्न क्षेत्रों में 600 मादक द्रव्य उन्मूलन शिविर आयोजित कर करीब ढाई लाख लोगों को नशा मुक्ति के संबंध में जागरूकता प्रदान कर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया है। यह विचार हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष संजय करोल ने रविवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के जिला न्यायालय परिसर शिमला के प्रेक्षागृह में आयोजित मादक पदार्थ व्यसन उन्मूलन शिविर के उद्घाटन पर व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि प्राधिकरण के तहत एनडीपीसी में समर्पित 117 पेरालीगल वालंटियर द्वारा गावों व कस्बों में जाकर नशा उन्मूलन के संबंध में जानकारी प्रदान कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया से जुडे़ अधिकारियों का समाज में फैली कुरीतियों को मिटाने के लिए आगे बढ़कर कार्य करने का आह्वान किया। कहा कि नशा सेवन की समस्या के समाधान के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग को अपना दायित्व निभाते हुए सामूहिक तौर पर कार्य करना होगा। बच्चों में इस प्रवृति के फैलाव को रोकने के लिए शिक्षकों की जिम्मेदारी अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण विरेन्द्र सिंह ने न्यायिक प्रक्रिया में इस समस्या के उन्मूलन के लिए विभिन्न प्रावधानों तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रयासों की जानकारी दी। सदस्य सचिव राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण पीपी रान्टा ने हर वर्ग से नशा निवारण के संबंध में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता प्रदान करने की अपील की। जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश शर्मा ने इस कार्य के लिए जनसहयोग की जरूरत को अहम कड़ी बताया।
शिविर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मनमोहन शर्मा, मानसिक अस्पताल एवं पुनर्वास संस्थान के विशेषज्ञ डॉ. रवि शर्मा, फॉरेंसिक लैब जुन्गा के अतिरिक्त निदेशक कपिल शर्मा, एड्स कंट्रोल सोसायटी शिमला के डॉ. गोपाल बेरी और आइजीएमसी के न्यूरो विभाग के विशेषज्ञ डॉ. प्रवीन भाटिया ने भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी, कानून एवं व्यवस्था प्रभा राजीव ने जिला प्रशासन के प्रयासों का उल्लेख किया। परिचर्चा के दौरान मौलाना मुमताज अहमद कासीम ने धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों से इस संबंध अधिक से अधिक जागरूकता प्रदान करने पर बल दिया।