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मौसम में बदलाव से वैज्ञानिक चिंतित कहा दुखद भी हो सकते हैं दूरगामी परिणाम

effect of global warming ग्लोबल वार्मिंग का असर हिमाचल में भी दिख रहा है। कई क्षेत्रों में तापमान माइनस में चल रहा है। अचानक कभी भारी बर्फबारी तो कभी तेज बारिश हो रही है। बादल फटने व तेज बारिश की घटनाएं भी बढ़ी हैं।

By BabitaEdited By: Published: Thu, 31 Jan 2019 09:51 AM (IST)Updated: Thu, 31 Jan 2019 09:51 AM (IST)
मौसम में बदलाव से वैज्ञानिक चिंतित कहा दुखद भी हो सकते हैं दूरगामी परिणाम
मौसम में बदलाव से वैज्ञानिक चिंतित कहा दुखद भी हो सकते हैं दूरगामी परिणाम

शिमला, जेएनएन। दुनियाभर में ग्लोबल वार्मिंग का असर हिमाचल प्रदेश में भी दिख रहा है। यही कारण है कि जनवरी खत्म होने को है और लोगों को कड़ाके की ठंड का सामना करना पड़ रहा है। हिमाचल के कई क्षेत्रों में तापमान माइनस में चल रहा है। अचानक कभी भारी बर्फबारी तो कभी तेज बारिश हो रही है। बादल फटने व तेज बारिश की घटनाएं भी पिछले कुछ समय से बढ़ी हैं।

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मौसम में बदलाव से वैज्ञानिक चिंतित हैं। वे इसे जलवायु अव्यवस्था बता रहे हैं। मौसम व पर्यावरण से जुड़े वैज्ञानिकों के मुताबिक हिमाचल में ऋतु चक्र एक से डेढ़ महीना आगे खिसका है। प्रदेश में मौसम में अप्रत्याशित घटनाएं हो रही हैं। भारी बर्फबारी से बेशक किसान व बागवान बाग-बाग हैं, लेकिन इस बदलाव के दूरगामी परिणाम सुखद होने के साथ दु:खद भी हो सकते हैं। 

गर्मी, सर्दी, बरसात आदि एक महीना देर से शुरू हो रहे हैं। मौसम व भू वैज्ञानिक इसे पर्यावरण में परिवर्तन मान रहे हैं। हालांकि भू वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग का असर हर जगह एक जैसा नहीं है और न ही इसके परिणाम जल्द पता चलते हैं। मौसम में आया एक महीने का परिवर्तन 10 से 15 वर्षों में प्रदेश में बढ़े प्रदूषण के कारण है। प्रदेश में 20 वर्षों में उद्योग, पेड़ कटान व कंकरीट में तबदील हुए शहरों से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ी है। इसका नतीजा मौसम में लगातार परिवर्तन है। मौसम में परिवर्तन विश्वभर में हुआ है। 30 वर्षों के दौरान दिसंबर में शिमला में करीब 18 बार व्हाइट क्रिसमस हुआ है। पिछले 10 वर्षों में करीब चार बार शिमला में व्हाइट क्रिसमस हुआ है। वर्ष 2001 में शिमला में 17 बार बर्फबारी हुई थी।

सिकुड़ रहे ग्लेशियर

हिमाचल में चिनाब, पार्वती व बास्पा नदी पर बने ग्लेशियरों की मैपिंग के दौरान कई आश्चर्यजनक तथ्य सामने आए हैं। वर्ष 1962 तक इन तीनों बेसिन पर ग्लेशियरों का आकार 2077 वर्ग किलोमीटर था जो अब 1628 वर्ग किलोमीटर रह गया है। चिनाब में छह, ब्यास में पांच व रावी में दो ग्लेशियर अपनी जगह से छिटक गए हैं।

प्रदूषण से मौसम पर असर

वातावरण परिवर्तन पांच से 10 साल में महसूस नहीं होता है। हिमाचल में बढ़ रहे प्रदूषण का मौसम पर असर पड़ा है। प्रदेश में 20 वर्ष पहले जैसा मौसम होता था, उसमें करीब पांच साल से ज्यादा परिवर्तन आया है। 

-डॉ. देवदत्त शर्मा, भू वैज्ञानिक हिमाचल प्रदेश, विश्वविद्यालय शिमला 

तापमान में उतार-चढ़ाव

ग्लोबल वार्मिंग पश्चिमी विक्षोभ के कारण हो रही है। पश्चिमी विक्षोभ से तापमान में उतार-चढ़ाव आता है। जब आसमान बादलों से ढका होता है तो तापमान में उछाल आ जाता है। जब प्रदेश में पश्चिमी हवा चलती है तो तापमान में गिरावट आती है। इससे प्रदेश में ठंड का प्रकोप बढ़ जाता है। तापमान शून्य से नीचे होने पर ही बर्फबारी हो रही है। 

-डॉ. मनमोहन सिंह, निदेशक, मौसम विज्ञान केंद्र शिमला


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