22 संस्थानों ने हड़पी है 22 करोड़ की छात्रवृत्ति
22 निजी शिक्षण संस्थानों ने 22 करोड़ से अधिक की छात्रवृत्ति डकारी है।
रमेश सिंगटा, शिमला
22 निजी शिक्षण संस्थानों ने 22 करोड़ रुपये से अधिक की छात्रवृत्ति डकारी है। इसका खुलासा सीबीआइ की जांच से हुआ है। ऐसे में अब छोटे संस्थानों की भी जांच होगी। जिन शिक्षण संस्थानों को एक करोड़ तक की छात्रवृत्ति आवंटित हुई, उनकी भी जांच होगी। सूत्रों के अनुसार इस संबंध में फाइल तैयार की गई है। इसे सीबीआइ के दिल्ली स्थित निदेशालय भेजा जाएगा। वहां से अनुमति के बाद ही इन संस्थानों पर शिकंजा कसा जा सकेगा। अभी तक उन्हीं जगहों पर फोकस किया गया, जिन पर शिक्षा विभाग की प्रारंभिक जांच में अंगुलियां उठाई गई थी। अब एक साथ बड़ी मछलियों पर हाथ डाला जाएगा, वहीं छोटे संस्थानों के कारनामों को भी जांच के दायरे में लाया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार सौ से अधिक संदिग्ध जांच एजेंसी के निशाने पर हैं। इनमें राज्य सरकार के अधिकारियों, शिक्षा विभाग, बैंकों, निजी संस्थानों के कर्ताधर्ताओं समेत केंद्र सरकार के अफसर भी शामिल हैं। 22 निजी शिक्षण संस्थान हिमाचल, पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ के हैं। इनमें 2013 से 2017 तक फर्जी दाखिले दर्शाए गए, जबकि अधिकांश विद्यार्थी वहां पढ़ाई नहीं करते थे। ऊना के पंडोगा स्थित निजी संस्थान की जांच पूरी हो चुकी है। इसकी चार्जशीट दो सप्ताह के भीतर कोर्ट में दाखिल हो जाएगी। क्या है घोटाला
2013-14 से 2016-17 तक 924 निजी संस्थानों के विद्यार्थियों को 210.05 करोड़ और 18682 सरकारी संस्थानों को 56.35 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति के दिए गए। आरोप है कि कई संस्थानों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार छात्रवृत्ति की मोटी रकम हड़प ली। जनजातीय क्षेत्रों के विद्यार्थियों को कई साल तक छात्रवृत्ति ही नहीं मिल पाई। ऐसे ही एक छात्र की शिकायत पर इस फर्जीवाड़े से पर्दा उठा।
कोर्ट नोटिस के बाद बदली रणनीति
हाईकोर्ट ने हाल ही में सीबीआइ को नोटिस जारी किया है। इसके आधार पर सीबीआइ ने जांच की रणनीति बदल दी है। कोर्ट में दायर जनहित याचिका के जरिए बताया गया कि 250 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में कुल 2772 शैक्षणिक संस्थान है। लेकिन राज्य सरकार ने सिर्फ 22 संस्थानों की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंपा है। इस पर कोर्ट ने सरकार सहित सीबीआइ को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। मामले की सुनवाई 14 नवंबर को होगी।