मेधावी विद्यार्थियों की मेहनत पर शातिरों का डाका, सरकार ने बैठाई जांच
शुरुआती जांच में पता चला कि मेधावियों की छात्रवृत्तियों के नाम पर गोरखधंधा कई साल से चला है।
शिमला, रमेश सिंगटा। हिमाचल प्रदेश में निजी शिक्षण संस्थानों में उच्च शिक्षा से जुड़ी छात्रवृत्ति योजनाओं के नाम पर घोटाला सामने आया है। इसमें मेधावी विद्यार्थियों के 150 करोड़ रुपये डकारे जाने की आशंका है। दो कैबिनेट मंत्रियों ने भी घोटाला होने का शक जताया है। मामले की गंभीरता देख शिक्षा सचिव डॉ. अरुण शर्मा के आदेश पर जांच शुरू हो गई है।
उच्च शिक्षा निदेशालय में कार्यरत वोकेशनल कोऑर्डिनेटर शक्ति भूषण जांच अधिकारी होंगे। इस मामले में प्राथमिकी जल्द दर्ज हो सकती है। सूत्रों के अनुसार शुरुआती जांच में पता चला कि मेधावियों की छात्रवृत्तियों के नाम पर गोरखधंधा कई साल से चला है। यह घोटाला केंद्र सरकार की छात्रवृत्ति योजनाओं में हुआ, जो 10 से 11 प्रकार की हैं।
कई राज्यों में होगी जांच
जांच की जद में हिमाचल व अन्य राज्यों के कई निजी शिक्षण संस्थान आएंगे। इनमें निजी मेडिकल कॉलेजों से लेकर पॉलीटेक्निक, इंजीनियरिंग व पैरामेडिकल संस्थान, नर्सिंग संस्थान व विश्वविद्यालय शामिल होंगे। ऐसे सभी संस्थानों की जांच होगी, जिनमें हिमाचल के बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण करते हैं।
7.5 लाख विद्यार्थियों का खंगाला जाएगा रिकॉर्ड
जांच टीम पांच साल की छात्रवृत्तियों का रिकॉर्ड खंगालेगी। हर साल करीब डेढ़ लाख हिमाचली विद्यार्थियों को केंद्र सरकार छात्रवृत्तियां प्रदान करती है। इससे साढ़े सात लाख विद्यार्थियों का पूरा रिकॉर्ड खंगाला जाएगा। लाभार्थियों से भी पूछताछ होगी।
नपेंगे कई अधिकारी
जांच में शिक्षा विभाग के कई अधिकारी नप सकते हैं। इनकी मिलीभगत के बिना निजी संस्थानों में फर्जीवाड़ा संभव नहीं है। सरकार की ओर से उच्च शिक्षा निदेशालय की स्कॉलरशिप ब्रांच पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को नहीं मिली छात्रवृत्ति सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. राजीव सहजल ने भी शिकायत में कहा है कि अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को उनके छात्रवृत्ति लाभ से वंचित रखा गया है। मंत्रियों के पास विद्यार्थियों ने शिकायत की थी। इन्हें भी जांच का हिस्सा बनाया जाएगा।
ये रहेंगे जांच के बिंदू
-छात्रवृत्ति योजनाओं का व्यापक प्रचार हुआ या नहीं? लाभार्थी इनके प्रति जागरूक थे?
-योजनाओं का लाभ उठाने वाले पात्र हैं या नहीं?
पांच साल से नहीं मिली छात्रवृत्ति
कृषि एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. रामलाल मार्कंडेय ने शिकायत की है कि लाहुल स्पीति के विद्यार्थियों को पांच
साल से कोई छात्रवृत्ति नहीं मिली है।
फर्जीवाड़े पर होगी रिकवरी
पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप फंड का दुरुपयोग करने के लिए शिक्षा विभाग हरकत में आया है। कहीं भी फर्जीवाड़ा पाया गया तो डिफाल्टर से रिकवरी होगी। इसका पैसा शिक्षा निदेशक के पास जमा करवाना होगा। ये निर्देश उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा ने जारी किए। स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक, तकनीकी शिक्षा, दंत शिक्षा निदेशक, निजी विवि नियामक आयोग के सचिव, हिमाचल प्रदेश विवि के रजिस्ट्रार, कृषि, बागवानी विवि के रजिस्ट्रार, तकनीकी शिक्षा रजिस्ट्रार, हिमाचल के सभी निजी विश्वविद्यालयों, हिमाचल से बाहर प्रदेश के विद्यार्थियों के जिन संस्थानों में दाखिले हुए, वहां के उच्च शिक्षा उपनिदेशकों को ये निर्देश दिए गए हैं। इसके मुताबिक छात्रवृत्ति दावे के समय निजी संस्थानों को अंडरटेकिंग देनी होगी। कुछ संस्थान फंड का दुरुपयोग कर रहे हैं। कई संस्थान ऐसे हैं जो विद्यार्थियों को ब्लैकमेल कर रहे हैं।
छात्रवृत्ति योजनाओं का पैसा डकारने का मामला अत्यंत गंभीर है। सरकार दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी।
-डॉ. अरुण शर्मा, शिक्षा सचिव
अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को नहीं मिली छात्रवृत्ति
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. राजीव सहजल ने भी शिकायत में कहा है कि अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को उनके छात्रवृत्ति लाभ से वंचित रखा गया है। मंत्रियों के पास विद्यार्थियों ने शिकायत की थी। इन्हें
भी जांच का हिस्सा बनाया जाएगा।